विज्ञानियों द्वारा नीलगाय को पालतू जानवर बनाए जाने का लक्ष्य। देश का पहला नीलगाय शोध केन्द्र बनाए जाने को लेकर चर्चा का बना बिषय।
बक्सर,बीपी। डुमरांव स्थित हरियाणा फार्म द्वारा कृषि कालेज को प्रदत जमीन पर देश का पहला नीलगाय शोध केन्द्र के निमार्ण का कार्य शुरू हो चुका है। आरंभिक तौर पर नीलगाय रखने के लिए फैंसी निर्माण का कार्य जारी है। फैंसी का निर्माण कराए जाने को लेकर कृषि कालेज के प्राचार्य डा.रियाज अहमद सहित विज्ञानियों की मौजूदगी में एआरआई पटना से पहुंचे अभियंता धनजंय सिंह द्वारा जमीन का मुआयना किया गया।
नीलगाय शोध केन्द्र के फैंसी का निर्माण करीब 140 मीटर में बनाया जाना तय है। अभियंता श्री सिंह ने बताया कि लोहे का राॅड व जाली आ चुका है। महज एक पखवारे के अंदर नीलगाय शोध केन्द्र के फैंसी का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इस निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने के लिए श्रमिक लगे हुए है। शोध कर्ता विज्ञानियों का कहना है कि नीलगाय को पालतू बनाए जाने के उद्येश्य से शोध किया जाएगा।
राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए राशि से नीलगाय शोध केन्द्र का निर्माण कराया जा रहा है। नीलगाय शोध केन्द्र की डुमरंाव में स्थापना के लिए पूर्व कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह की अनुशंसा पर बीएयू के तत्कालीन कुलपति वर्तमान राजस्थान कृषि विवि के कुलपति डा.अरूण कुमार द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी।नीलगाय का सूक्ष्म पर्यवेक्षण करने के लिए फैंसी में अधिकतम 10 विभिन्न किश्म के नर व मादा नीलगाय को रखा जाएगा।
-बीएयू के कुलपति डा.डी.आर.सिंह का कथन-
बिहार कृषि विश्वविद्यालय कृषि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय कृषि कालेज डुमरांव की जमीन पर नीलगाय शोध केन्द्र खोले जाने को लेकर पहले ही स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। विज्ञानियों द्वारा नीलगाय पर शोध कार्य करने के लिए तीन साल की अवधि तय की गई है। शोध में प्रगति पाए जाने के बाद दोबारा विज्ञानियों के लिए समय बढ़ा दिया जाएगा। नीलगाय शोध केन्द्र शुरू करने के लिए 50 लाख की राशि स्वीकृती प्रदान की जा चुकी है। विज्ञानियों द्वारा प्रस्तुत प्रोजेक्ट प्रेजंेटेशन के बाद अपडेट किया गया है। डुमरांव का नीलगाय शोध केन्द्र देश का पहला नीलगाय शोध केन्द्र है।