-डुमरांव में प्रस्तावित नीलगाय अनुसंधान केन्द्र का निर्माण कार्य कच्छूए की चाल से जारी।
बक्सर,विक्रांत। बिहार के बक्सर जिलान्र्तगत डुमरांव में देश का पहला प्रस्तावित नीलगाय अनुसंधान केन्द्र का निर्माण कार्य कच्छूए की चाल से जारी है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की अंगीभूत इकाई डुमरांव स्थित कृषि कालेज के प्रांगण में प्रस्तावित नीलगाय अनुसंधान केन्द्र में नीलगाय रखने को वन विभाग ने अनुमति प्रदान कर दी है। भोजपुर वन प्रमंडल के प्रमंडल वन पदाधिकारी राजकुमार ने जीव जंतु वैज्ञानिक सुदय प्रसाद को शुरूआत में अनुसंधान कार्य के लिए शुरूआत में महज 10 नीलगाय पकड़ने की अनुमति प्रदान की गई है। वहीं हरियाणा फार्म द्वारा कृषि कालेज को प्रदत करीब एक सौ एकड़ भू भाग वाले हिस्से में नीलगाय अनुसंधान केन्द्र में नीलगाय रखने को लेकर बाड़ा का निर्माण कार्य प्रक्रियाधीन है।
विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देश पर संबधित अभियंता द्वारा नीलगाय रखने को ‘बाड़ा‘ निर्माण की दिशा में प्राक्कलन बनाने का कार्य जारी है। राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा नीलगाय (घोड़परास) से नागरिको की सुरक्षा के लिए शोध कार्य को 50 लाख की राशि स्वीकृत किया गया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर प्रशासन द्वारा शुरूआत में नीलगाय अनुसंधान केन्द्र के आरंभिक कार्य (इंफ्रास्ट्रक्चर) खड़ा करने के लिए 3 लाख की राशि कृषि कालेज को उपवांटित की जा चुकी है।
‘पालतू बना रोजगार व अर्थोपार्जन की तलाशी जाएगी संभावना‘
पूर्णिया स्थित भोला शास्त्री कृषि कालेज में पदस्थापित जीव जंतु वैज्ञानिक डा.सुदय प्रसाद द्वारा करीब चार साल पहले नीलगाय को पालतू जानवर बनाए जाने को शोध किया गया था। वैज्ञानिक डा.प्रसाद के प्रकाशित शोध पत्र पर राज्य के पूर्व कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह की निगाह पड़ गई। पूर्व मंत्री श्री सिंह द्वारा किसानों के कथित दुश्मन नीलगाय को पालतू जानवर बनाए जाने की प्रोजेक्ट को बिहार में खड़ा करने को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के तत्कालिन कुलपति डा.अरूण कुमार को निर्देशित किया गया। कृषि मंत्री के आदेश पर कुलपति डा. कुमार ने नीलगाय को पालतू जानवर बनाए जाने के लिए राज्य प्रोजेक्ट प्लान बना जीव जंतु वैज्ञानिक सह नीलगाय शोधार्थी डा.प्रसाद को नीलगाय अनुसंधान केन्द्र का निर्माण कराए जाने का कमान थमा दी।
नीलगाय अनुसंधान केन्द्र खोले जाने का कमान थमाते हुए डा.प्रसाद को पूर्णिया के आलावे डुमरंाव कृषि कालेज में प्रतिनियुक्त कर दिया। डा.प्रसाद महीने का पंद्रह दिन डुमरांव में प्रस्तावित नीलगाय अनुसंधान केन्द्र की स्थापना को समय देना शुरू कर दिया। नीलगाय अनुसंधान केन्द्र की स्थापना को तत्कालिन कुलपति नें डा.प्रसाद के बतौर सहयोगी डा.आर.के.साह, डा.सीएस प्रभाकर एवं पूर्व प्राचार्य डा.रियाज अहमद को प्रतिनियुक्त कर दिया। वैज्ञानिक का दावा- जीव जंतु वैज्ञानिक डा.प्रसाद ने दावे के साथ कहा पूरे बिहार का 31 जिला के किसान नीलगाय से परेशान है।
सर्वाधिक नीलगाय बक्सर जिला में पाए जाते है। सूबे में सर्वाधिक नीलगाय इस जिला में पाए जाने के चलते यहां नीलगाय अनुसंधान केन्द्र खोले जाने का निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लिया गया है। वैज्ञानिक डा.प्रसाद ने बताया कि नीलगाय को पालतू जानवर बनाकर रोजगार व अर्थोपार्जन की संभावना तालाशी जाएगी। नीलगाय को मार देना समस्या का स्थाई समाधान नही है। जीव जंतु वैज्ञानिक डा.प्रसाद ने बताया कि नीलगाय के मांस एवं दूध में कई जरूरी तथ्य छूपे हो सकते है। नीलगाय की प्रजाति बकरी व हिरण है।