कम सिंचाई व कम उर्वरक में भी धान की अन्य किस्मो की तुलना में सबौर मंसूरी देगा अधिक उत्पादन
Buxar, Vikrant: बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने धान की नई किस्म सबौर मंसूरी का इजाद किया है। सबौर मंसूरी नाम की यह नई किस्म सूबे के किसानों के बीच धूम मचा दी है। यह नई किस्म कम सिंचाई एवं कम उर्वरक में धान की अन्य सामान्य किस्मों की अपेक्षा दोगुना अधिक उत्पादन देने को सक्षम है। इसकी उत्पादन क्षमता प्रति हैक्टेयर कुंतल 105 व औसतन उत्पादन प्रति हैक्टेयर 65 से 75 कुंतल है। इस नई किस्म में प्रति पौधा 16 से 20 कल्ले बालियां जड़ी रहती है। प्रत्येक बालियां 29 से 30 सेंटीमीटर लंबी एवं दानों की संख्या 3 सौ से अधिक पाई जाती है। कुल एक हजार दानों का वजन 22 से 23 ग्राम होता है। दानों का रंग सुनहरा व नाटी मंसूरी की भांति स्वर्णा होती है।
नई विकसित सबौर मंसूरी धान के चावल में एमाइलॉज महज 24 प्रतिशत है जिससे चावल मुलायम व भुरभुरा होता है। वीर कुंवर सिंह कृषि कालेज, डुमरांव के नियंत्रणाधीन वनस्पति अनुसंधान संस्थान, धनगाई (विक्रमगंज) से जुड़े विज्ञानी डाॅ. प्रकाश सिंह व उनकी टीम द्वारा सबौर ‘हीरा‘, सबौर ‘सोना’ व सबौर ‘मोती‘ के बाद धान की चौथी प्रभेद सबौर ‘मंसूरी’ का इजाद अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजना के अंर्तगत की गई है।
‘कम खर्च में अधिक मुनाफा देगी नई किस्म सबौर मंसूरी’
डुमरांव स्थित कृषि महाविद्यालय के विज्ञानी डा.प्रकाश सिंह की धान की नई इजाद ‘सबौर मंसूरी’ किसानों को कम खर्च में अधिक मुनाफा देगी। कम सिंचाई व कम उर्वरक के बीच बेहतर उत्पादन देने वाली यह नई किस्म समय से बुआई के लिए धान-गेहूं-मूंग अथवा धान-मक्का / दलहनी फसल चक्र में उत्पादकों के लिए वरदान साबित होगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई वीर कंुवर सिंह कृषि कालेज के विज्ञानी डा.सिंह व उनकी टीम को उम्मीद बनी हुई है कि आने वाले समय में केंद्र देश के कम से कम 6 राज्य के किसानों के बीच समर्पित करने को चयन कर सकती है।
-मूल्यांकन में खरा उतरा सबौर मंसूरी-
विज्ञानी डा.सिंह ने बताया कि इस नई किस्म(प्रभेद) सबौर मंसूरी का निरीक्षण अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय विशेषज्ञों की टीम कर चुकी है। विज्ञानी डा.सिंह ने बताया कि निरीक्षण के दरम्यान, उत्तर प्रदेश पर्यावरण आयोग के अध्यक्ष सह अंतरराष्ट्रीय सलाहकार- सिंगीटआ डा.एच.बी.सिंह, आईसीएआर- नई दिल्ली के पूर्व सहायक महानिदेशक डा.ईश्वर सिंह सोलंकी, अंतर्राष्ट्रीय खाद्यान्न विशेषज्ञ, सीवाईएमएमआईटी-मेक्सिको के डा.रविगोपाल सिंह, बिहार सरकार- कृषि विभाग के जलवायु अनुकूल कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डा.अनिल झा, वरीय बिहार कृषि विश्वविद्यालय धान सस्य विशेषज्ञ डा.अजय कुमार, हैदराबाद भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के मुख्य धान अभिजनक डा.गी.पद्यम्वाती एवं बीसा के अंतरराष्ट्रीय वरीय खाद्यान्न वैज्ञानिक डा.राजकुमार जाट एवं अन्य द्वारा नई किश्म सबौर मंसूरी की प्रशंसा की गई है।
वहीं इस नई किस्म का प्रक्षेत्र में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के शोध सहनिदेशक डा.फीजा अहमद, नेशनल चावल अनुसंधान संस्थान, कटक के वरीय संकर धान प्रजनक डा.रामलखन शर्मा, ओडिसा के विज्ञानी डा.कमलेश प्रसाद एवं वैज्ञानिक डा.शांतिभूषण प्रसाद सहित क्षेत्र के कई किसानों की मौजूदगी में मूल्यांकन की गई। धान की नई किस्म सबौर मंसूरी की 50 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में सैंपल कटिंग की गई एवं उपज प्रति हैक्टेयर 107.64 कुंतल प्राप्त हुई। उपज देखकर क्षेत्र किसानों के चेहरे पर प्रसन्नता की लकीर तन गई।