बक्सर : जापान के साथ महावीर कैंसर अनुसंधान केन्द्र, पटना पित्ताशय की थैली में होने वाले कैंसर के कारको का करेगा खोज

बक्सर

तीन बर्षीय शोध परियोजना के मुख्य अनुदेशक महावीर कैंसर अनुसंधान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक डा. अरूण कुमार बनाए गए

बक्सर/विक्रांत। जापान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एजेंसी (जेएसटी)टोक्यों की सहायता से बिहार के महावीर कैंसर संस्थान पटना पित्ताशय की थैली में होने वाले कैंसर के कारको पर शोध करने की कवायद जुट गया है।

भारत एवं जापान सरकार की संयुक्त परियोजना के तहत पित्ताशय कैंसर एटियलजी एंड ऐपिडेमियोलाॅजी पर अनुसंधान का कार्य शुरू होगा। वर्तमान में शोधार्थियों का उद्येश्य अध्ययन के बाद पित्ताशय की थैली के कैंसर एवं जीवित-पर्यावरणीय कारको के बीच संबधो का खुलासा करना है। साथ ही शुरूआती पहचान के माध्यम से इसके संभावित रोकथाम का भी खोज करना है।

इस तीन बर्षीय परियोजना के लिए कुल बजट एक करोड़ की राशि जापान की एजेंसी जेएसटी द्वारा एक करोड़ की राशि प्रदान किया गया है। पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के अनुसंधान विभाग नें इस नए खोज के कार्य को अंजाम देने के लिए डुमरांव के लाल सह वरीय वैज्ञानिक डा.अरूण कुमार को मुख्य अनुदेशक बनाया है।

इस तीन साल की संयुक्त अनुसंधान परियोजना में जापान स्थित टोक्यो यूनिर्वसिटी के वैज्ञानिक डा.मैको साकामोटो, महावीर कैंसर अनुसंधान केन्द्र के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार घोष एवं कैंसर संस्थान के वैज्ञानिक डा.मोहम्मद अली को भी शामिल किया गया है। महावीर कैंसर अनुसंधान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक सह डुमरांव के लाल डा. कुमार ने बताया कि पित्ताशय कैंसर के लिए जोखिम कारक पानी का जहर आर्सेनिक, कीटनाशक एवं अन्य भारी बस्तुएं शामिल है।

वरीय वैज्ञानिक ने दावा करते हुए के कहा कि बिहार में पित्ताशय की थैली में कैंसर की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है।नतीजतन वैज्ञानिकों एवं आंकोलाजिस्ट के समक्ष इसके कारण समझने की गंभीर चुनौती है। चूंकि पित्ताशय के कैंसर का लक्ष्ण विशिष्ट नहीं होता है। डा.कुमार ने कहा कि जापान एवं भारत का यह संयुक्त शोध पित्ताशय की थैली के कैंसर के सही कारको को जानने के लिए नई अंर्तदृष्टि जरूर लाएगा।

बता दें,महावीर कैंसर अनुसंधान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक डा.अरूण कुमार अपने अन्य सहयोगी वैज्ञानिक टीम के साथ बक्सर सहित सूबे के आर्सेनिक प्रभावति अन्य कई जिले में पानी का जहर आर्सेनिक के आलावे बक्सर जिला के गंगा नदी के तटवर्तीय इलाके की प्रसूता महिलाओं के दूध में आर्सेनिक मामले पर अनुसंधान कर चुके है।

डा.कुमार बक्सर जिला के खड़ईचा नामक गांव के मूल निवासी एयरफोर्स के अवकाश प्राप्त अधिकारी मोती लाल प्रसाद के छोटे पुत्र है। फलस्वरूप डा.कुमार ने अन्य वैज्ञानिक साथियों के साथ बक्सर जिला को आर्सेनिक से मुक्ति दिलाने की दिशा में समय समय पर जन-जागरण अभियान चलाने का काम किया है। बक्सर जिला के आर्सेनिक प्रभावित सिमरी अंचल के दो गांवों में महावीर कैंसर संस्थान के सहयोग से आर्सेनिक वाटर फिल्टर मशीन लगवाने का काम किया है।