बक्सर/ बिफोर प्रिंट। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को अनुसूचित जाति एवं जनजाति में उप- वर्गीकरण करने के लिए दिए गए फैसला ऐतिहासिक है, मैं इसका तहे दिल से स्वागत करता हूँ। साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग में क्रीमीलेयर की पहचान की बात सराहनीय कदम है, वर्तमान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग में भी अमीर एवं गरीब के बीच काफी खाई है, उक्त वर्गों में भी कुछ जातियों का लगातार उत्थान एवं विकास हो रहा है, और अधिकांश जातियों का उत्थान एवं विकास रुका हुआ है।
बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने 2007 में अनुसूचित जाति में उप- वर्गीकरण कर महादलित बनाए एवं महादलित के विकास के लिए राज्य महादलित आयोग बिहार का गठन किए और विकास के लिए अतिरिक्त राशि आवंटित किए, इसका जीता जागता प्रमाण विकास मित्र की बहाली इत्यादी है, जबकि अनुसूचित जन जाति में भी उप- वर्गीकरण की आवश्यकता है।
बार- बार संपन्न अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अभ्यर्थियों को उक्त वर्ग का आरक्षण का लाभ मिलने के कारण वही एमपी- विधायक, डीएम- एसपी, डॉक्टर- इंजीनियर बन रहे है और इसी वर्ग के गरीब उपेक्षित हो रहे है। यहाँ तक कि संपन्न अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग अपने बेटा- बेटी का शादी भी सामान्य वर्ग में कर रहे है।
अपने वर्ग के गरीब लोगों के बेटा- बेटी से शादी तो दूर अपने गरीब रिस्तेदार को रिस्तेदार कहने में भी परहेज करते है इसलिए इस खाई को दूर करने के लिए क्रीमीलेयर की पहचान कर संपन्न लोगों को आरक्षण देने पर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार को विचार करनी चाहिए।
लेकिन उक्त वर्ग के स्वार्थी लोग माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसला का बिरोद्ध भी निश्चित रूप से करेंगे। जबकि यह फैसला स्वागत योग्य है। उक्त बात की जानकारी बिहार प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश राजनैतिक सलाहकार समिति के सदस्य नथुनी प्रसाद खरवार ने दी है.