Buxar, Vikrant : बिहार राज्य न्यायिक सेवा संघ के बैनर तले वेतन विसंगति के निराकरण, शेट्टी कमीशन के अनुशंसा को लागू करने, पदोन्नति एवं मृत न्यायिक कर्मियों के आश्रितों को अनुशंसा के आधार पर नौकरी देने जैसी मांगों को लेकर चौथे दिन भी सांकेतिक विरोध जारी रहा. इस दौरान सभी न्यायिक कर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर अपनी मांगों को पूरा करने का दबाव राज्य सरकार पर बनाया.बिहार राज्य न्यायिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने कहा कि पूरे राज्य में न्यायिक कर्मचारियों को प्रोन्नति एव पुनरीक्षित वेतनमान से वंचित किया गया है और राज्य भर के कर्मचारियों में गहरा रोष व्याप्त है। विधि विभाग वित्त विभाग औऱ पटना उच्च न्यायालय द्वारा कर्मचारियों के वेतन प्रोन्नति के मामले में भ्रम पैदा किया गया है जिसके चलते हर न्यायमण्डल के कर्मचारी प्रोन्नति एवं अन्य सुविधाओं से वंचित हैं।
बिहार राज्य न्यायिक कर्मचारी संघ के बक्सर जिलाध्यक्ष अखौरी राजेश कुमार सिन्हा ने बताया कि एक से लेकर चार फरवरी तक सभी न्यायिक कर्मी सांकेतिक विरोध कर रहे हैं. यदि सरकार फिर भी उनकी मांग नहीं मानती तो आंदोलन को तेज किया जाएगा. उन्होंने अपनी मांगों के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के अलग-अलग जिलों के न्यायिक कर्मियों का वेतन अलग-अलग दिया जाता है. साफ तौर पर दिखाई दे रही इस वेतन विसंगति को दूर करने का कोई प्रयास राज्य सरकार के द्वारा नहीं किया जाता. इसके अतिरिक्त शैक्षणिक आधार पर भी वेतन निर्धारित नहीं होता. मसलन स्नातक उत्तीर्ण न्यायिक कर्मियों को मैट्रिक का स्तर का वेतन मिलता है.
न्यायमंडल के द्वारा कई बार वेतन विसंगति दूर करने के लिए मार्गदर्शन भी मांगा गया, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त पदोन्नति एवं मृत न्यायिक कर्मियों के आश्रितों को अनुशंसा देने में भी आनाकानी की जाती है. इसी प्रकार डुमरांव व्यवहार न्यायालय के कर्मियों ने अपनी लंबित मांगो के समर्थन में काला बिल्ला लगाकर सांकेतिक विरोध किया गया. जिसमे मुख्य रूप से मुकेश कुमार, अरुण कुमार, चंदन कुमार, सत्येन्द्र कुमार, सुजीत कुमार, दिगिवजय कुमार, ज्योति कुमार, राजीव बक्शी, रामजी ठाकुर, संजय कुमार निराला एवं मनोज कुमार आदि न्यायिक कर्मचारी शरीक रहे.
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