-मंगलवार को ममतामयी मां का समारोह पूर्वक मनाई जाएगी पुण्यतिथि…
विक्रांत/बक्सर। अनपढ़ रहते हुए भी धरिक्षणा कुंवरि ने पुरानंे शाहाबाद जिला में शिक्षा की लौ जलाने का काम किया था। दानशीलता व दानवीरता को लेकर इतिहास के पन्ने में धरिक्षणा कुंवरि (डी.के.) का नाम अकिंत है। सूबे के पुराने शाहाबाद जिला अब बक्सर, सासाराम, भोजपुर एवं कैमूर के लिए नारी सशक्तिकरण की प्रतिक है। आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी को अपने सोनें का कंगन तक दान कर दिया था। उनकी दानवीरता का कई जीता मिशाल आज भी मौजूद है। स्थानीय डी.के.कालेज के प्रांगण में ममतामयी मां की याद में मंगलवार को समारोह पूर्वक पुण्य तिथि मनाए जाने को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है।
इतिहास के पन्ने में अकिंत है धरिक्षणा कुंवरि का नाम’
बक्सर जिला के सिमरी अंचल के डुमरी गांव के प्रसिद्ध वियाहुत वंशीय साह परिवार की महिला धरिक्षणा कुंवरि का नाम दानवीरता को लेकर इतिहास के पन्ने में अंकित है। उनकी दानवीरता व दानशीलता के कई उदाहरण आज भी मौजूद है। खुद अनपढ़ रहते हुए भी वर्ष 1936 में बक्सर शहर में खुद के नाम पर मध्य विद्यालय की स्थापना, विगत 2 जून,1956 को डुमरांव में धरिक्षणा कंुवरि महाविद्यालय (डी.के.कालेज) की स्थापना,
अपने ससुराल सिमरी अंचल के डुमरी गांव में डी.के.मेमोरियल कालेज की स्थापना, बक्सर में अपने पति श्रीकृष्ण प्रसाद की याद में मध्य विद्यालय की स्थापना, बक्सर शहर में यात्रियों के लिए खुद के नाम पर धर्मशाला की स्थापना के अलावा आरा के पास कोईलवर टीवी सेनेटोरियम की स्थापना (वहां आज मानसिक आरोग्यशाला भी चल रहा है), सूबे की राजधानी पटना में सब्जी मंडी के पास यात्रियों के लिए खुद के नाम पर
धर्मशाला का निर्माण एवं उत्तर प्रदेश के बाराणसी स्थित काशी विश्वविद्यालय में नकद राशि दान देकर छात्र कल्याण कोष की स्थापना ममतामयी मां ने किया था। उनके द्वारा स्थापित स्कूल व कालेज से शिक्षा रूपी खिलते सुगंधित फूल से समाज के लोग लाभान्वित है। स्थापित धर्मशाला एवं अस्पताल अब तक जीवंत है। काशी विवि में छात्र कल्याण कोष चल रहा है।
दानवीर महिला के घर डुमरी पंहुचे थे महात्मा गांधी’
महात्मा गांधी बक्सर को स्वतंत्रता आंदोलन के लिहाज से उर्जावान मानते थे। महात्मा गांधी बक्सर में छः बार आ चुके है। इसी क्रम में जब महात्मा गांधी वर्ष 1932 में बक्सर आए थे। दानवीरता को लेकर प्रसिद्ध धरिक्षणा कुंवरि के डुमरी स्थित घर पर महात्मा गांधी पंहुच गए थे। उस समय दानवीर महिला ने अपने दोनों हाथ के सोनें की कंगन सहित कई स्वर्णाभूषण वतन की आजादी को लेकर लड़ाई लड़ने वाले महात्मा गांधी को दान में दे दिया था।
अधिवक्ता सह साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा, अधिवक्ता सह साहित्यकार शंभू शरण नवीन, सिनीयर सिटीजन सत्यनारायण प्रसाद उर्फ दादा, दशरथ प्रसाद विद्यार्थी एवं राजद के वरिष्ठ नेता रामजी सिंह यादव ने बताया कि धरिक्षणा कंुवरि नारी सशक्तिकरण की प्रतिमा थी। खुद अनपढ़ रहते हुए भी क्षेत्र में शिक्षा की लौ जलाने का काम कर इतिहास के पन्नंे में नाम दर्ज कराया है।
जीवन वृत-बक्सर जिला के इटाढ़ी प्रखंड के लोहंदी गांव के की बेटी धरिक्षणा कुंवरि की शादी सिमरी अंचल के डुमरी गांव के प्रसिद्ध वियाहुता वंशीय साह परिवार के श्रीकृष्ण प्रसाद के साथ हुई थी। शादी के चंद साल के बाद संपन्न परिवार में धरिक्षणा कुंवरि ने एक पुत्र को जन्म दिया। संतान की उत्पति के कुछ सालों के बाद उनके पति ने सदा के लिए साथ छोड़ दुनिया से चल बसे। लम्हें गुजरते चले गए। पति की अनुपस्थिति के चलते उनके चेहरे उदासी नहीं गई।
लेकिन प्रकृति ने उन पर एक और विपति ढ़ाह दिया। जवानी के दहलीज पर पंहुचते ही टीवी रोग से ग्रसित उनके पुत्र ने ईलाज के दौरान दम तोड़ दिया। ममतामयी मां धरिक्षणा कुंवरि के वंशज पवन कुमार एवं नवनीत कुमार कहते है कि अपने पुत्र की मौंत के बाद से शोक संत्पत रहने वाली ममतामयी मां धरिक्षणा कुंवरि द्वारा कोईलवर में टीवी सेनेटोरियम की स्थापना कराई गई। टीवी सेनेटोरियम वाले जमीन में ही सरकारी मानसिक आरोग्यशाला संचालित होता है।