-बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के रोकथाम को लेकर डुमरांव अनुमंडल कार्यालय के सभा कक्ष में 29 को कार्यशाला का होगा आयोजन
बक्सर,बिफोर प्रींट। इक्कीस साल से कम उम्र के लड़के एवं अठारह साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी करना कानून की नजर में जुर्म है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह को अवैध एवं शून्य करार दिया गया है। इस कानून के तहत बाल विवाह की अनुमति देने,विवाह तय करने,विवाह करवाने एवं विवाह वाले समारोह में हिस्सा लेने वाले लोगो को सजा दी जा सकती है।
अठारह साल से कम उम्र वाले द्वारा विवाह करने वाले लड़का को दो साल का कठोर कारावास अथवा एक लाख रूपए तक का जुर्माना हो सकता है। बाल विवाह करवाने वाले व्यक्ति को दो साल का कारावास अथवा एक लाख रूपए तक की जुर्माना अथवा दोनों ही सजा हो सकता है। महिलाओं को कारावास की सजा नहीं हो सकती है। उन्हें खिलाफ अर्थ दंड हो सकता है। क्षेत्र के नागरिक बाल विवाह पर रोकथाम के लिए संबधित प्रखंड के बीडीओ, थानाध्यक्ष, ग्राम पंचायत के सरपंच को मौखिक, लिखीत डाक द्वारा अथवा इलेक्ट्ानिक के माध्यम से सूचना दे सकते है।
दहेज का लेन-देन अपराध- दहेज लेना व देना दोनों अपराध है। इसके लिए कम से कम पांच वर्ष की सजा या 15 हजार रूपए अर्थ दंड दिया जा सकता है। शादी में दहेज की मांग करने पर 6 माह की सजा और 10 हजार राशि का जुर्माना हो सकता है। इसी कड़ी में डुमरांव अनुमंडल प्रशासन द्वारा बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के प्रचार प्रसार को लेकर आगामी 29 नवम्बर को कार्यशाला का आयोजन करने का निर्णय लिया गया है।
अनुमंडलाधिकारी द्वारा कार्यशाला में भाग लेने को लेकर सभी बीडीओ, सीडीपीओ, आपूर्ति पदाधिकारी एवं सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश जारी किया गया है। साथ ही इस कार्यशाला में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संबधित एनजीओ संचालको को आमंत्रित किया गया है।