डुमरांवःवैज्ञानिक लैब तकनीक को जमीन पर उतारने को तैयार…दुर्लभ हो चुके मोटे अनाज की खेती समय की मांग..उत्पादन व मूल्य संर्वद्धन को किसानों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित

बक्सर

बक्सर/बीपी। डुमरांव स्थित वीर कुंवर सिंह कृषि कालेज के सभागार में बुधवार को मोटे आनाज के प्रसंस्करण व मूल्य संर्वद्धन को लेकर तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर की शुरूआत हुई। सादे समारोह के बीच आयोजित शिविर का उद्घाटन वयोवृद्ध किसान संग प्राचार्य सह अधिष्ठाता प्रो.मुकेश कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मौके पर प्राचार्य ने कहा कि बिहार खाद्यान्न उत्पादन के मामले में जरूर निर्भर है।

पर सूबे के किसान मोटे अनाज का उत्पादन करना भूल गए है। मोटे अनाज यथा मक्का, बाजड़ा, ज्वार, मड़ुआ, कोदो अनाज किसानों के पुरानी विरासत वाला अन्न है। उन्होनें कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में मोटे अनाज की खेती आसानी से किया जा सकता है।

मोटे अनाज के बीज का भंडारण सैकड़ो साल तक किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि प्रयोगशाला की तकनीक को जमीन पर पहंुचाने को लेकर विज्ञानी तैयार है। उन्होनें कहा कि मोटे अनाज को हरेक किसान आसानी से उत्पादन कर सकते है।बाजार में मोटे अनाज की मांग बढ़ी है। विज्ञानी डा.शांतिभूषण ने कहा कि मोटे अनाज के उत्पादन व उत्पादकता के लिए कालेज के कृषि विज्ञानी किसानों का सहयोग करने के लिए सदैव तैयार है।

कृषि विज्ञानी सह कार्यक्रम समन्वयक डा.नंदिता कुमारी ने कहा कि मोटे अनाज में मिनरल व विटामीन जैसे पोषण तत्व पाए जाते है। उन्होनें पोषक तत्व वाले मोटे अनाज का सेवन स्वास्थ के लिए हरेक दृष्टि से लाभदायी है।कृषि विज्ञानी डा.अविनाश सरीन सक्सेना ने कहा कि स्वास्थ के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते मोटे अनाजों के उपयोग को बढ़ावा मिला है।

मोटे अनाज पाचन के दृष्टि से बेहतर होते है। समारोह का संचालन डा.सुमन लता ने किया। इस मौके पर विज्ञानी डा.शुभम कुमार, डा.शिवम कुमार सहित कुल 30 प्रशिक्षणार्थी किसान मौजूद थे। इसके पहले प्राचार्य सहित आगत अतिथियों का स्वागत डा.सक्सेना ने किया।