Dumraon : टीवी रियलीटी शो की डांस सुपर स्टार बिहार की बेटी वर्तिका ने सीखाए नृत्य के गुण

बक्सर

डुमरांव के मार्वल हाॅल मेें आयोजित नृत्य कार्यशाला में वर्तिका संग थिरकते रहे बच्चे-बच्चियां

Buxar,Vikrant : डुमरांव के राजगढ़ स्थित मार्वल हाॅल में राॅयल डांस अकादमी के बैनर तले एक दिवसीय नृत्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। नृत्य प्रशिक्षण शिविर में सूबे के विभिन्न जिला के चयनित करीब 50 बच्चे बच्चियों की टोली बिहार की बेटी डांस की स्टार वर्तिका झा के साथ गीत संगीत की धुन पर घंटो थिरकती रही। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आयोजित कार्यशाला में डांस जगत की स्टार युवती वर्तिका झा द्वारा सूबे के विभिन्न जिला में यथा पटना, आरा, छपरा, औरंगाबाद,बक्सर, भभुआ के आलावे नेपाल एवं देहरादून से आए नन्हे बच्चे बच्चियों को नृत्य की गुर सीखाए गए। नृत्य कार्यशाला लेकर पूरे दिन राजगढ़ प्रांगण में बच्चे बच्चियों की भीड़ उमड़ी रही। डांस स्टार वर्तिका झा की एक झलक पाने को राजगढ़ में बच्चे बच्चियों की भीड़ उमड़ी रही। कार्यशाला देर शाम तक जारी रहा।

कार्यशाला में आंगतुको का स्वागत आयोजक प्रमुख हनी हसनैन ने किया। मंच का संचालन शिक्षक अनुराग मिश्रा ने किया। वहीं विधि व्यवस्था संघारण को लेकर पूरे दिन डुमरांव थाना की महिला सब इंसपेक्टर व अंचलाधिकारी अंकिता सिंह दल बल के साथ तैनात रही। बाद में बक्सर जिला की मिट्टी से जुड़ी डांस जगत की स्टार सुश्री झा का कला के पुजारियों द्वारा कार्यशाला मंच पर भव्य स्वागत किया गया।

‘लग्न के साथ करने कार्य करने पर सफलता का मिलना तय है‘
टीवी की डांस प्रतियोगिता रियलीटी शो में जीत का परचम लहराने के बाद डांस के शौकीन बच्चे बच्चियों के बीच लोकप्रिय होने वाली वर्तिका झा नें बताया कि उनका बक्सर जिला के राजपुर प्रखंड के पीठारी गांव में ननिहाल है। उनके नाना का नाम रामायण दुबे है। वह पहली बार स्टेज शो व प्रशिक्षण शिविर में शिरकत करने के लिए डुमरांव में आई है। आगे अपनी माता कांती झा एवं भाभी रक्षा झा के साथ प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने वाली डांस जगत की स्टार सुश्री झा ने बताया कि उन्हें बाल्य काल से ही नृत्य के प्रति रूचि था।

उनकी बाल्य काल से रूचि देखकर परिवार के हरेक सदस्य में पिता अनिल कुमार झा के आलावे सभी चार भाईयों ने खुले दिल से सर्मथन ही नहीं किया। बल्कि चार पीलर बनकर सदैव मदद को खड़े रहे। सुश्री झा ने बताया कि उन्होनें बाल्य काल में ही नृत्य के शौक को कैरियर में तब्दील करने को ठान लिया था। उन्होनें नृत्य प्रशिक्षण शिविर में शिरकत करने वाली बच्चे बच्चियों को नृत्य का गुण सीखाते हुए कहा कि कोई भी कार्य पूरी सर्मपण व तन्मयता के साथ करने पर सफलता का मिलना तय है।