डेस्क। किसान मेले के दूसरे दिन बड़ी संख्या में स्थानीय और पूरे राज्य से आए हुए किसानों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। मेला देखने का उत्साह इस कदर था कि पूरा विश्वविद्यालय परिसर शाम होते-होते किसानों और कृषि मे रूचि रखने वाले लोगों से पट गया। मेला घूमने वाले विभिन्न कंपनियों के स्टॉल से नए किस्म के फसलों और कृषि के नई तकनिकों के बारे मे जानकारी लेते नज़र आये।
विश्वविद्यालय के परिक्षेत्र में लगे फसलों का जिवंत प्रदर्शन किया गया है जिसका किसानों द्वारा बड़े ही कौतुहालता पूर्वक देखा जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के समेकित कृषि प्रणाली को देखने मे किसान खूब रूचि लेते दिखे।
पशु प्रदर्शनी रहा आकर्षण का केंद्र :
आज के दिन मेले की शुरुआत पशु प्रदर्शनी से हुई। तरह-तरह के पालतू पशु इस पशु प्रदर्शनी में देखने को मिले। छोटे से लेकर बड़े पशुओं तक मेला देखने वालों के बीच आकर्षण के केंद्र बने रहे। छोटे पशु पक्षियों में मुख्य रूप से कबूतर जाति की पक्षी आकर्षण का केंद्र रहा। इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के कुत्ते और बकरियों के नस्ल लोगों को खूब आकर्षित किया।
इस पशु प्रदर्शनी में देसी नस्ल के गाय खूब देखने को मिले वहीं भैंस की अच्छी प्रजातियों ने भी मेला देखने वाले को अपनी ओर खींचा। कुल मिलाकर विभिन्न प्रजाति के पशुओं की संख्या मेले में 175 रही। मेले के दौरान किसानों को पशुओं का अवलोकन करने के लिए भागलपुर के जिला पशुपालन पदाधिकारी पशु चिकित्सकों के साथ मौजूद रहे।
पशु मेला का उद्घाटन बिहार कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉक्टर डॉ डी. आर. सिंह और पूर्णिया विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉक्टर राजनाथ यादव ने किया। कुत्तों के प्रमुख नस्लों में जर्मन शेफर्ड, साइबेरिया वुल्फ, लेब्रा डॉग, पल्मेरियन इत्यादि प्रमुख रहे वहीं बकारीयों मे जमुना परी और बारबरी नस्ल की बकारीयों ने आकर्षित किया।
देसी गाय कि नस्लों में साहीवाल और गीर ने मन को मोह लिया। इसके अलावा पछियों में कबूतर, बटेर और कड़क नाथ मुर्गा भी पशु प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खिंचा। बच्चों ने खरगोश के साथ भी मनोरंजन किया।
बेहतरीन पशुओं को पुरस्कृत भी किया गया जिसमें भैंस के लिए प्रथम पुरस्कार मंटू यादव को, गाय मे शंकर नस्ल के लिए प्रथम पुरस्कार अमित कुमार को, बकरी के लिए प्रथम पुरस्कार रिहाना खातून को बकरा के लिए प्रथम पुरस्कार मोहम्मद राजा अहमद को, बकरी की उन्नत नस्ल का प्रथम पुरस्कार विशाल कुमार को, मुर्गा के लिए प्रथम पुरस्कार मोहम्मद आसिफ आरिफ को,
बत्तख के लिए प्रथम पुरस्कार मोहम्मद अंसार को, और कुत्ता में बड़ा नस्ल के लिए प्रथम पुरस्कार राहुल भारद्वाज को और मध्यम आकार के लिए रवि कुमार के कुत्ते को पुरस्कृत किया गया वहीं छोटे नस्ल के नर और मादा के लिए आदर्श कुमार को पुरस्कृत किया गया।
कार्यशाला का हुआ आयोजन :
“तकनीक आधारित खेती से आत्मनिर्भर किसान” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन जिसका उद्घाटन माननीय कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर डॉक्टर डॉ डीo आरo सिंह और माननीय कुलपति पूर्णिया विश्वविद्यालय डॉक्टर राजनाथ यादव ने संयुक्त रूप से किया। विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आर सुहाने ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
पूर्णिया विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉक्टर राजनाथ यादव ने स्वदेशी के साथ-साथ आधुनिक तकनीक से भी खेती करने के लिए किसानों को सलाह दिया, उन्होंने कृषि में जेनेटिक इंजीनियरिंग के महत्व पर प्रकाश डाला। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉक्टर डॉ डीo आरo सिंह ने कहा कि सिर्फ प्रयोगशाला से खेत तक हम सीमित नहीं रहेंगे बल्कि आज जरूरी है कि खेत से वापस प्रयोगशाला को भी जोड़ा जाए।
इसी क्रम में माननीय कुलपति ने समस्तीपुर के नवाचारी किसान श्री सुधांशु कुमार के खेतों का भ्रमण करने के लिए छात्रों और सभी वैज्ञानिकों को सलाह दी। कुलपति ने कहा कि हमें पारंपरिक तकनीक को भी पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है हमें अपने धरोहर को बचाने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय अपनी जी आई फसलों को पुनः संरक्षित करने के लिए शोध ब्रांडिंग और पैकेजिंग करने का कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा की खेती को बचाना और खेती को बढ़ाना युवाओं के समक्ष आज एक चुनौती है। इस मंच से माननीय कुलपति ने स्व निर्मित फूलों के रंगों से ही होली खेलने का आह्वान किया साथ ही घोषणा की कि विश्वविद्यालय के सभी कर्मी और वैज्ञानिक फूलों से ही स्वयं रंग बनाकर होली खेलेंगे।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा सिंदूर के पौधों का टिश्यू कल्चर द्वारा उत्कृष्ट पौधा बनाए जाने की जानकारी दी। उद्घाटन सत्र मे विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक और वैज्ञानिकों के अलावा सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रधान एवं वैज्ञानिक शामिल हुए। धन्यवाद ज्ञापन सह निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आर एन सिंह ने किया।
खेती से चार करोड़ सालाना टर्न-ओवर वाले किसान सुधांशु ने किसानों को किया सम्बोधित:
समस्तीपुर के नवाचारी किसान श्री सुधांशु कुमार ने इस कार्यशाला में किसानों को संबोधित करते हुए अपने अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बेहतर स्कूलिंग और प्रोफेशनल डिग्री करने के बाद भी वह पिछले 34 साल से खेती कर रहे हैँ। मुख्य तौर पर सुधांशु हाईटेक हॉर्टिकल्चर पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अब जरूरत है कि पारंपरिक खेती से अलग हटकर नए जमाने की खेती करने की आवश्यकता है।
उन्होंने अपने बारे में बताया कि वह समस्तीपुर में ड्रेगन फ़्रूट, लीची, स्ट्रॉबेरी, मौसमी, अनार, शरीफा, आम, केला, संतरा इत्यादि की खेती हाईटेक तरीके से कर रहे हैं। सुधांशु ने बताया कि वे प्रति बीघा साढ़े तीन लख रुपए की आमदनी कर रहे हैं। उनकी खेती लीक से अलग हटकर है और उनके खेतोँ मे पूरी तरह से ऑटोमेटिक कार्य होता है।
उनके खेतों में फाइबर ऑप्टिक वाई-फाई सीसीटीवी लगी हुई है। वह यहां से भी बैठकर अपने खेतों की निगरानी कर सकते हैं और खेतों में जरूरत पड़ने पर कहीं से भी अपने मोबाइल से स्प्रिंकलर या ड्रिप इरीगेशन के सिस्टम को ऑन कर सकते हैं। इस आशय की जानकारी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने दी।