डुमरांव की फिजाओं में विद्यमान है गंगा-जमुनी संस्कृति…..

बक्सर

बक्सर/विक्रांत। बक्सर जिला के डुमरांव की फिजाओं में गंगा जमुनी संस्कृति विद्यमान है। यहां गंगा-जमुनी तहजीब के कई अनूठी मिशाल आज भी विद्यमान है। कभी डुमरांव नगर में जन्में भारत रत्न से नवाजे गए उस्ताद बिस्मिल्ला खां की बजती शहनाई की मधुर धुन के बीच बांके बिहारी(श्रीराधा-कृष्ण) की सुबह शाम आरती होती थी। शहनाई वादन का परिणाम बालक बिस्मिल्ला खां को बांके बिहारी ने प्रदान किया।

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जो आगे चलकर बिस्मिल्ला खां विश्व विख्यात हो गए।वहीं यहां एक हिंदू परिवार के घर-आंगन में शहीद बाबा का मजार मौजूद है।वहां संग-संग हिंदू-मुस्लिम परिवार के लोग इबादत करते है। नगर के ईश्वर सिंह की गली में मौजूद शहीद बाबा के मजार पर पूर्व वार्ड पार्षद कौश्ल्या देवी एक साथ श्रीराम नवमी पर्व पर मां दुर्गा की पूजा करती है तों शहीद बाबा के मजार पर नित्य इबादत करना भी नहीं भूल पाती है।

रमजान के मौंके पर शहीद बाबा के मजार पर सुबह शाम इबादत करने को लेकर हिंदू एवं मुस्लिम परिवार के लोगो की भीड़ जुटती है। यहां शाम ढ़लते ही या अली एवं बजरंग बली की आवाज गूंजती है। हेयात मोहम्मद पथ में करीब एक सौ गज की दूरी पर मौजूद मंदिर एवं मस्जिद सामाजिक एवं सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा मिशाल है।

एक तरफ नवरात्रि के मौंके पर शाम ढ़लते ही श्री ठाकुर जी जवाहिर मंदिर में बजते घड़ी घंट के साथ जय बजरंग बली एवं मस्जिद में नित्य होते इबादत के दरम्यान या अली की आवाज गूंजती है। इबादत एवं पूजा स्थल से निकलते जयकारे की आवाज यहां के नागरिको को शकून प्रदान करता है।

शाम ढ़लते ही इबादत एवं पूजा के दरम्यान बजते घड़ी-घंट,जलते हवन एवं धूप-अगरबत्ती की सुगंध से हेयात मोहम्मद पथ(श्री ठाकुर जी जवाहिर मंदिर रोड) सुगंधित हो उठता है। वाशिंदे लोगों के आलावे इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों को सुखद अनुभव के साथ अध्यात्मिक व आत्मिक सुख की अनुभूति होती है।

इस हेयात मोहम्मद पथ के वाशिंदे पेशे से होमियो चिकित्सक डा.तुलसी प्रसाद, समाज सेवी नसीम खां, अनुप उपाध्याय,रब्बान आलम, राज अंसारी, शिवमुनि प्रसाद,बब्लू होदा एवं विमलेस दुबे कहते है कि उनके गली में इबादत व पूजा के होने से काफी शकून मिलता है।

इबादत व पूजा स्थल आपसी भाईचारे के मिलन-मोहब्बत का पैंगाम देते नजर आता है। वहीं नगर के सिनियर सिटीजन सत्यनारायण प्रसाद,दशरथ प्रसाद विद्यार्थी, रामजी सिंह शेरे दिल, शम्मी अख्तर हाशमी, पत्रकार प्रियरंजन राय कहते है कि डुमरांव सामाजिक एवं सांप्रदायिक एकता का अनूठा मिशाल है। यहां गंगा जमुनी संस्कृति विद्यमान है।