गोचारण भगवान का प्रिय विषय

बक्सर

बक्सर। नगर के शिवपुरी मुहल्ले में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के पांचवें दिन प्रवचन करते हुए प्रख्यात भागवत वक्ता आचार्य (डॉ.) भारत भूषण जी महाराज ने कहा कि पृथ्वी ही गौ रूप में हमारा पालन करती हैं। परात्पर परब्रह्म परमात्मा ने श्रीकृष्ण के रूप में मथुरा में अवतार लिया किन्तु रातों रात गोकुल महावन में आ गए। गोवंश की रक्षा के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने गोवंश की अपने हाथों से सेवा की। गोपाल और गोविंद बनकर वे प्रसन्न हुए। गोवंश का रक्त गिरना कलंक है। जहां गोवंश का रक्त गिरता है वहां कोई धर्म और अनुष्ठान फलित नहीं हो पाते। उन्होंने कहा कि सत्ता के मद में देवराज इन्द्र ने भगवान श्रीकृष्ण की उपेक्षा शुरू की तथा व्रजमंडल में प्रलयंकर वर्षा कराकर भारी भय उपस्थापित कर दिया।

भगवान श्रीकृष्ण ने पूरे सात दिनों तक एक ही हाथ से गोवर्धन पर्वत धारण कर समस्त गोवंश, गोपालों और गोकुलमंडल की रक्षा की।स्वर्ग की गाय के नेतृत्व में देवराज इन्द्र और सभी देवताओं ने भगवान श्रीकृष्ण का गोविंद पद पर अभिषेक किया।गवां इन्द्रः गोविंदः अर्थात् जो गोवंश का इन्द्र है उसे गोविंद कहते हैं। गायों और गोपालों के बीच भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया गया।नन्द बाबा ने वेदज्ञ विप्रों के द्वारा स्वस्तिवाचन पूर्वक जातकर्म संस्कार और देवताओं तथा पितरों की अर्चना की।

उन्होंने कहा कि भगवान के प्राकट्य पर भी मनुस्मृति तथा वैदिक परंपराओं का पूरा पालन होता है।सोलह संस्कारों का विधिपूर्वक ज्ञान और आचरण हम सभी के लिए आवश्यक है। आचार्य ने पूतना मोक्ष, तृणावर्त, शकटासुर आदि राक्षसों के उद्धार, नामकरण, यमलार्जुन उद्धार, वत्सासुर, बकासुर,अघासुर उद्धार,मां को विराट रूप का दर्शन सहित वृंदावन में गोचारण तथा वंशीवादन की मार्मिक व्याख्या की।

इस अवसर पर यजमान पं नरेंद्र पांडेय उर्फ लालबाबू पांडेय सहित शताधिक श्रद्धालुओं ने सर्वतोभद्र मण्डल के आवाहित देवताओं का पूजन – अर्चन किया। प्रयागराज से पधारे पं.संजय द्विवेदी ने समस्त कर्मकांड और मूल पाठ पं. ब्रजकिशोर पांडेय ने संपन्न किया। इस अवसर पर शिवपुरी मुहल्लेवासियों के अलावे पद्मनाभ चौबे,,विद्यासागर ओझा, सचिदानंद मिश्र, सहारा इंडिया के मदन मोहन मिश्र, समाजसेवी विनोद कुमार राय,बबन राय, विश्वजीत पांडेय ,वागीश पांडेय,बाल मुकुंद चौबे, इंद्रावती देवी,उमाशंकर यादव, बैद्यनाथ सिंह, राहुल पांडेय, पप्पू पांडेय आदि तमाम गणमान्य लोगों ने व्यासपीठ का पूजन किया।