देर से ही सही परन्तु कर्पूरी जी को भारत रत्न दिया जाना स्वागत योग्य- नवीन
डुमरांव, विक्रांत। सोशलिस्ट-कम्युनिस्ट एकता के प्रबल हिमायती, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कर्पूरी ठाकुर जी के जन्मशती वर्ष 2024 के उपलक्ष पर भाकपा-माले द्वारा डुमराँव पार्टी कार्यालय प्रांगण में कार्यक्रम आयोजित किया गया । भाकपा- माले ने कर्पूरी जी के जन्मदिन 24 जनवरी से गांधी जी के शहादत दिवस 30 जनवरी तक, बिहार मे “संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ; भाजपा हटाओ, देश बचाओ” पदयात्रा चलाने का निर्णय किया है । कार्यक्रम सभा की अध्यक्षता जिला सचिव नवीन कुमार, डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुमार सिंह, वरिष्ठ किसान नेता अलख नारायण चौधरी, वीरेन्द्र सिंह, विसर्जन राम एवं ऐपवा नेत्री संध्या पाल के अध्यक्ष मंडल ने किया । कार्यक्रम का संचालन डुमराँव प्रभारी सुकर राम ने किया ।
सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य कमिटी सदस्य सह डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुमार सिंह ने कहा कि कर्पूरी जी सचमुच जननायक थे – एक भविष्यद्रष्टा, सड़क हो या विधानसभा, सत्ता रहे या जाए, बिना फिक्र किए जनता का एक प्रतिबद्ध योद्धा. सामाजिक न्याय का दुर्घर्ष योद्धा । कर्पूरी बखूबी समझते थे कि घोर अन्याय पर आधारित समाज में वंचित तबके को आखिर कितना ही न्याय मिल पाएगा । कर्पूरी जी को जब आज हम उनके शताब्दी वर्ष पर याद कर रहे हैं, तो उनकी वैचारिकता के इस विशेष पहलू को केंद्र में लाना होगा । देश आज जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, यह वैचारिकता उसकी सबसे मददगार हो सकती है ।
भाषा, शिक्षा, आरक्षण आदि क्षेत्रों में कर्पूरी जी के किए गए कार्यों से हर कोई वाकिफ है, जिसने समाज के कमजोर वर्गों को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की । मुख्यमंत्री बनने के बाद गांधी मैदान में उन्होंने तकरीबन 10-11 हजार इंजीनियरों को नियुक्ति पत्र देकर रोजगार के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय कदम उठाया था । शिक्षा व आरक्षण को कर्पूरी जी सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण हथियार मानते थे । इसलिए, प्रतिगामी तबकों का उन्हें बार-बार हमला झेलना पड़ा ।
उन्होंने हमला झेला, अपनी सरकार गंवाई लेकिन अपने पथ पर अडिग रहे । उनकी नीतियों व कार्यक्रमों से बिहार में पिछड़ी, अतिपिछिड़ी और दलितों के साथ-साथ अगड़ी जाति के गरीब तबके का एक मजबूत संश्रय स्थापित होना शुरू हुआ था । यह वह दिशा थी जिससे बिहार की तस्वीर बदली जा सकती थी । दुर्भाग्य कि वह प्रक्रिया जारी नहीं रह सकी ।
सोशलिस्ट-कम्युनिस्ट एकता के प्रबल हिमायती थे । अरवल जनसंहार के खिलाफ 1986 के ऐतिहासिक विधानसभा घेराव में आइपीएफ नेताओं पर बर्बर दमन हुए और उन्हें नजरबंद कर दिया गया. कर्पूरी जी इसके खिलाफ बिहार विधानसभा में धरने पर बैठ गए और जब तक आइपीएफ नेताओं की रिहाई नहीं हुई वे लगातार धरने पर बैठे रहे ।
यह थी कर्पूरी जी की विशिष्टिता । उसी प्रकार, 1988 में तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए 59 एमेंडमेंट्स के खिलाफ आइपीएफ के बिहार बंद को कर्पूरी जी ने अपना खुला समर्थन दिया और हर प्रकार के जुल्म-दमन के खिलाफ बोलने वालों की अगली कतार में खड़े रहे । कर्पूरी जी के कई ऐसे संस्मरण हैं, जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है ।
सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा -माले के जिला सचिव नवीन कुमार ने कहा कि यह विडंबना ही कही जाएगी कि गैरकांग्रेसवाद के दौर में समाजवादी व साम्यवादी खेमों में जो व्यापक एकता बननी चाहिए थी, नहीं बन पाई । समाजवादी धड़े का एक हिस्सा सांप्रदायिक ताकतों के साथ रहा । अक्सर ऐसा समझा जाता है कि भारत में समाजवादी व साम्यवादी एकदम से अलग-अलग धाराएं हैं ।
ऐतिहासिक तौर पर अलगाव रहा भी है, लेकिन अंततः ये दोनों धाराएं वंचित तबके की मुक्ति की लड़ाई को ही अपना लक्ष्य मानती हैं । कर्पूरी जी इन दोनों धाराओं की बीच की सीमा को हमेशा तोड़ते नजर आए । आज जब देश भाजपा-आरएसएस के फासीवादी चंगुल में है, जब लोकतंत्र-संविधान पर हमले हो रहे हैं, विपक्षरहित लोकतंत्र की बात हो रही है और देश को तथाकथित हिंदू राष्ट्र में बदल देने का उन्मादी अभियान चलाया जा रहा है, तब कर्पूरी जी और भी प्रसांगिक हो उठते हैं । यदि आज वे जिंदा होते तो उनकी पूरी कोशिश संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए व्यापक एकता के निर्माण की दिशा में ही होती ।
यह अच्छी बात है कि इस दिशा में बिहार ने एक सकारात्मक हस्तक्षेप किया है और भाजपा के खिलाफ एक व्यापक एकता का निर्माण किया है, जिससे पूरे देश में नई उम्मीदें जगी है । देश के लिए ऐसे निर्णायक राजनीतिक मोड़ पर कर्पूरी जी अपने व्यापक दृष्टिकोण के कारण और भी महत्वपूर्ण हो जा रहे हैं ।
भाकपा-माले कर्पूरी जी की राजनीति के मूल उसूलों को आत्मसात करते हुए देश को बचाने के लिए एक व्यापक एकता के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएगा । सभा को भाकपा माले नेता नीरज कुमार, धर्मेंद्र सिंह, संजय शर्मा, पूजा कुमारी, ललन राम ने भी सम्बोधित किया । सभा में श्रीभगवान पासवान, जीतेन्द्र गिरी, छविनाथ, जाबिर कुरैशी, शिवशंकर तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित रहें ।