डेस्क/ विक्रांत। देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद की डुमरांव से कई यादें जुड़ी हुई है। डुमरांव राज परिवार द्वारा वर्ष 1866 में स्थापित राज हाई स्कूल में डा.राजेन्द्र प्रसाद ने बतौर शिक्षक के रूप में सेवा प्रदान किया था। बात उन दिनों की है। जब देश में राज प्रथा चल रहा था। राज हाई स्कूल का संचालन डुमरांव महाराज कमल सिंह की देख रेख में हुआ करता था।
उन दिनों डुमरांव राज के लगान की वसूली छपरा के सिताबदीयरा तक हुआ करता था। इसी क्रम में वर्ष 1911 में शिक्षक का पद रिक्त रहने की सूचना पाकर डा.राजेन्द्र प्रसाद के बड़े भाई महेन्द्र प्रसाद राज हाई स्कूल में शिक्षक की नौकरी के लिए डुमरांव आ गए।
उनके द्वारा तमाम प्रमाण पत्रों के साथ शिक्षक की नौकरी के लिए दिए गए आवेदन की जांच करने व महाराजा द्वारा लिए गए इंटरव्यू में महेन्द्र प्रसाद सफल हो गए। राज हाई स्कूल में वर्ष 1911 से लेकर वर्ष 1918 तक शिक्षक के रूप में सेवा देने का कार्य पर डा.राजेन्द्र प्रसाद के बड़े भाई ने किया था।
स्थानीय नगर के निवासी पेशे से अधिवक्ता सह साहित्यकार शंभू शरण नवीन ने अपने संस्मरण के आधार पर बताया कि वर्ष 1911 से 1918 के दौरान शिक्षक महेन्द्र प्रसाद के साथ उनके परदादा देवकीनंदन लाल भी राज हाई स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत थे।
शिक्षण कार्य के दौरान महेन्द्र बाबू की तबियत खराब रहने लगी। बाद में तबियत ज्यादा बिगड़ने की स्थिति में बेहतर ईलाज के लिए उन्हें बाहर जाना जरूरी पड़ गया। साहित्यकार नवीन जी बताते है कि स्कूल में शिक्षक की कमी रहने के चलते स्कूल प्रबंधन द्वार