-बीएयू में जल्द खुलेगा नारी सशक्तिकरण केन्द्र..
डेस्क/ अरुण। सूबे का अकेला बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में आयोजित तीन दिवसीय किसान मेला के अन्तिम दिन कुलपति डाॅ. डी. आर. सिंह की अध्यक्षता में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम विषयक कार्यशाला का आयोजन हुआ। उक्त कार्यक्रम में प्रो. (डाॅ.) जवाहर लाल कुलपति, तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। डी के कालेज डुमरांव के पूर्व प्राचार्य सह तिलक मांझी विवि के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा कि कृषि उत्पाद के प्रसंस्करण के माध्यम से किसानों की आमदनी में दोगुने से ज्यादा बढ़ोत्तरी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि देश-प्रदेश में कुपोषण से मुक्ति के लिये मोटे अनाजों में मूल्य संवर्द्धन बड़े पैमाने पर करना होगा। प्रो. लाल ने कहा कि कृषि की उन्नत तकनीकों के व्यवहार से खेती की लागत कम होगी और किसानों को श्रमसाध्य कार्यो से छुटकारा मिलेगा।बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि खेती के त्वरित विकास हेतु महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है और इसके लिये हमारा विश्वविद्यालय सबौर मुख्यालय में एक महिला सशक्तिकरण केन्द्र जल्द ही संचालित करेगा जिसका भवन पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो चुका है।
डाॅ. सिंह ने कहा कि कृषि को समाज से सीधे जोड़ने की जरूरत है जिसके लिये स्कूली बच्चों में कृषि के प्रति रूचि पैदा करनी होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने कस्तूरबा बालिका विद्यालय, सबौर को वर्ष 2023 में ही गोद लिया है जहाँ वैज्ञानिक समय-समय पर जाकर बच्चों को जागरूक एवं प्रोत्साहित करते हैं।
कुलपति डा सिंह ने कहा कि मौसम में हो रहे परिवर्तन के आलोक में कृषि अनुसंधान को नये तरीके से सोचने की आवश्यकता
है। इसी क्रम में विश्वविद्यालय में नव नियुक्त वैज्ञानिकों ने अपने विजन को नयी सोच-नयी खोज के रूप में प्रदर्शित करके एक नये विचार को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि समाज को आर्थिक उन्नति के साथ-साथ स्वास्थ्य संवर्द्धन की भी आवश्यकता है इसके लिये विश्वविद्यालय ने चयनित जिलों के 28 गाँवों को गोद लेकर कुपोषण उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया है जिसका बहुत ही उत्साहवर्द्धक परिणाम प्राप्त हो रहा है।
डाॅ. डी. आर. सिंह ने किसान मेले में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों, अनुसंधान केन्द्रों एवं विभागों सहित कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं अन्य संस्थानों के सहभागिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के सामूहिक सहयोग से कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की उन्नत तकनीकों का बहुत तेजी से हस्तानान्तरण संभव है। डाॅ. सिंह ने कहा कि आगामी वर्ष में आयोजित होने वाले किसान मेले में विश्वविद्यालय के महाविद्यालय तथा उनके विभाग के स्टाॅल को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त होने पर क्रमशः 1.00 लाख, 75 हजार तथा 50 हजार की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी।
जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम कार्यशाला में प्रो. ए. के. झा, भूतपूर्व प्राध्यापक, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, डाॅ. डाॅ. चिक्कप्प मं कर्जमि, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, बेगूसराय ने भी अपना विचार व्यक्त किया।
इस अवसर पर डाॅ. अनिल कुमार सिंह, निदेशक अनुसंधान, डाॅ. ए. के. साह, अधिष्ठाता, कृषि, डाॅ. आर. पी. शर्मा, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर, डाॅ. फिजा अहमद, अधिष्ठाता बीज एवं प्रक्षेत्रा, डाॅ. आर. एन. सिंह, सह निदेशक प्रसार शिक्षा उपस्थित रहे। विवि के निदेशक प्रसार शिक्षा डा ए के सोहाने द्वारा स्वागत भाषण एवं डाॅ. मिजानुल हक, कुलसचिव द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।