Patna: कृषि व्यवसाय प्रबंधन कालेज में दाखिला शुरू

बक्सर

कृषि विवि का लक्ष्य work is work ship and work with smile कई मॉडल विकसित

Buxar,Vikrant : गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुलपति डॉ0 डी0 आर0 सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा की साथ ही आगामी योजनाओं को भी रखा। कुलपति ने कहा कि राज्य में कृषि शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, सत्र 2022-23 से तीन अन्य कृषि महाविद्यालय बीएयू सबौर के अधीन खोले गए हैं जिसमें कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय आरा भोजपुर और कृषि जैवप्रोद्योगिकी महाविद्यालय सबौर में छात्रों ने दाखिला ले लिया है साथ ही नवनिर्मित कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय पटना में भी नामांकन लिया जा रहा है। सत्र 2022-23 में विश्वविद्यालय के अधीन BCEC और ICAR के माध्यम से स्नातक स्तर पर 253 विद्यार्थियों का दाखिला लिया जा चुका है।

अनुसंधान के क्षेत्र में विभिन्न अनुसंधान समूहों जैसे फसल सुधार, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल संरक्षण एवं सामाजिक विज्ञान के लिए कुल 60 अनुसंधान परियोजनाओं की स्वीकृति दी गयी है। साथ ही कुलपति ने विश्वविद्यालय में विकसित फसलों के विभिन्न किस्मों सबौर तीसी, धान में सबौर हीरा गोभी में सबौर मुक्ता और सबौर लहसुन इत्यदि की चर्चा करते हुए कहा कि किसानों के खेतों में इन किस्मों के अच्छे परिणाम आ रहे हैं।

कृषि प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय के योगदानों की चर्चा करते हुए माननीय कुलपति ने कहा कि प्रसार के क्षेत्र में कृषि तकनीकों के हस्तांतरण में प्रसार शिक्षा का विशेष महत्व है। प्रसार शिक्षा निदेशालय अपने कृषि विज्ञान केंद्रों और प्रसार कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिला एवं पुरुष किसानों को प्रशिक्षण द्वारा उनका कौशल उन्नयन बहुत ही अच्छे तरीके से कर रहे हैं। साथ ही कुलपति ने कहा कि कुछ ऐसे कार्यक्रम जैसे मैत्री प्रशिक्षण,कृषि यंत्रों की मरम्मती, फसल अवशेष प्रबंधन, जलवायु अनुकूल कृषि इत्यादि कार्यक्रमों को KVK के माध्यम से तेज़ी से कराए जा रहे हैं।

कुलपति ने विश्वविद्यालय के आगामी विजन को प्रस्तुत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य होगा “Work is worship and work with smile” इसके अंतर्गत कई मॉडल और मॉड्यूल विकसित किये जायेंगे। आगे कुलपति डा.डी आर सिंह ने कहा कि बिहार सरकार के जीविका का मॉडल महिला सशक्तिकरण के लिए पूरे देश में चर्चा का विषय है, विश्वविद्यालय इस मॉडल के अनुरूप ही महिलाओं के लिए बिना खेत के कृषि कार्यक्रम के तहत होगा जैसे बायोफर्टिलाइजर, बायोकम्पोस्ट, बायोपेस्टिसाइड, बायोएनर्जी, मशरूम उत्पादन, मधुमखी पालन, संरक्षित खेती, टिशू कल्चर और बीज परीक्षण के मध्यम से महिलाओं औए भूमिहीन किसानों को जोड़ा जाएगा। साथ ही कुलपति ने कहा कि राज्य में नए फसलों को बिहार में परीक्षण किया जाएगा। सभी कृषि विज्ञान केंद्रों और महाविद्यालयों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा गांवों को गोद लिया जाएगा ताकि अधिक से अधिक ग्रामीणों के बीच आत्मनिर्भर कृषि को प्रोत्साहित किया जा सके।