विक्रांत। स्थानीय हरियाणा कृषि प्रक्षेत्र में देश का पहला स्थापित नीलगाय शोध केंद्र के विस्तार कार्य के लिए कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि कालेज के खाते में पहली किश्त की 13 लाख 50 हजार राशि भेजी गई है। राशि के अभाव में नीलशोध केंद्र का कार्य करीब 6 माह से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था। शोध कर्ता विज्ञानी टीम के बीच मायूशी का आलम छाए हुए था। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंर्तगत नीलगाय शोध केंद्र के बाह् संरचना, नीलगाय के व्यवहार व उनकी विशेषताओं का सूक्ष्म पर्यवेक्षण के लिए राशि मिलने के बाद शोधकर्ता विज्ञानियों के बीच खुशी छा गई है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अपने यूको बैंक की खाते के माध्यम से डुमरांव स्थित कृषि कालेज के बैंक आफ इंडिया के खाते में पहली किश्त की राशि भेजी गई है। राशि भेजे जाने के सबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कालेज के प्राचार्य, नोडल पदाधिकारी एवं नीलगाय शोध केंद्र प्रभारी को पत्र भेज कर सूचित किया जा चुका है।
इस आशय की पुष्टि कृषि कालेज के प्राचार्य सह अधिष्ठाता प्रो.मुकेश कुमार सिन्हा ने करते हुए बताया कि नीलगाय शोध केंद्र के लिए वित्तीय वर्ष 2023-2024 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत कंेद्र व राज्य सरकार को मिलाकर 1 करोड़ 14 लाख 85 हजार राशि की मंजूरी प्रदान करते हुए विश्वविद्यालय को निकासी व खर्च करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी।
विश्वविद्यालय के कुलपति के निर्देश पर शिक्षा एवं शोध प्रसार विभाग द्वारा पहली किश्त के रूप में साढ़े तेरह लाख राशि कृषि कालेज को प्रदान की जा चुकी है। प्राचार्य ने बताया कि राशि के अभाववश देश का प्रथम नीलगाय शोध केंद्र के विस्तार का कार्य अवरूद्ध था। अब शोध कंेद्र को विस्तार सहित नीलगाय को पालतू बनाए जाने की कड़ी में विज्ञानियों को नीलगाय के विशेषताओं का सूक्ष्म पर्यवेक्षण कार्य को गति मिलना तय है।