केन्द्र सरकार मजदूर विरोधी, हायर-फायर नीति बंद करे : ओम प्रकाश क्रांति

बिहार बेतिया

केंद्र सरकार मजदूर विरोधी, हायर-फायर नीति बंद करे : ओम प्रकाश क्रांति

बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया में केन्द्रीय श्रम संगठनों एवं सेवा संघों के आह्वान पर एटक से जुड़े सभी संगठनों के लोग हड़ताल पर रहे। बेतिया एटक कार्यालय बलिराम भवन से जूलूस निकाल कर जिला समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया।

बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, राज्य आशा संघ, बिहार राज्य विधालय रसोईया संघ, मोटर कार ड्राइवर यूनियन, बिहार राज्य ममता संघ, बिहार राज्य वैक्सीन कूरियर संघ, बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के कार्यकर्त्ता बड़ी संख्या में हड़ताल में शामिल हुए। उन्होंने केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीति के विरुद्ध रोष व्यक्त किया, चार लेबर कोड समाप्त करने, सभी योजना कर्मियों, संविदा कार्मिको की सेवा स्थायी करने, आउट सोर्सिंग पर रोक लगाने, हायर एंड फायर की नीति बंद करने, छटनी ग्रस्त कर्मियों को काम पर वापस लेने, बेरोजगारी दूर करने, निजीकरण पर रोक लगाने, सेविका सहायिका, आशा, रसोईया को 26000 हजार रुपये मानदेय देने, एनजीओ राज समाप्त करने, खाली पड़े सभी जगहों पर स्थायी बहाली करने की मांग के समर्थन में सोमवार को हड़ताल किया गया।

मजदूरों के इस हड़ताल का समर्थन बिहार राज्य किसान सभा, बिहार राज्य महिला समाज एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने किया। हडताली मजदूरों ने बलिराम भवन से जूलूस निकाला और बेतिया के विभिन्न मार्गो से होते हुए जिला समाहरणालय (डीएम कार्यालय) के समक्ष पहुंचे। जिसका नेतृत्व एटक नेता ओम प्रकाश क्रांति, बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की महासचिव सुमन वर्मा, स्नेहलता कुमारी, गोदावरी देवी, प्रमिला, अजय वर्मा, आशा संघ की बेनू, सरोज, संध्या, पूनम, रसोईया संघ के लालबाबु राम, वीणा देवी, किसान सभा के राधामोहन यादव, नौजवान संघ के तारिक अनवर ने किया।

एटक नेता ओम प्रकाश क्रांति ने बताया कि मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीति के विरुद्ध देश के बीस करोड़ मजदूर हड़ताल में शामिल हुए। मजदूरों ने हड़ताल में शामिल होकर इस बात को स्पष्ट कर दिया कि देश कारपोरेट घरानों से नहीं मजदूरों के बलबूते चलता है। केन्द्रीय श्रम संगठनों ने लगातार केन्द्र सरकार के मजदूर विरोधी नीति के विरुद्ध आंदोलन और संघर्ष किया है। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन भी केन्द्र सरकार नहीं चेती तो मजदूर संगठन अनिश्चित कालीन हड़ताल को विवश हो जाएंगे।

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