मोतिहारी/राजन द्विवेदी। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद इसपर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। हिंदू पक्ष यहां शिवलिंग मिलने का दावा कर रहा है तो मुस्लिम पक्ष इस दावे को नकार रहा है। इस मुद्दे पर बिहार के विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायालय में है। इसलिए हम इस पर कुछ बयान नहीं दे सकते हैं। जिस तरह से अयोध्या में रामलला के मंदिर पर न्यायालय ने फैसला सुनाया था और उस पर मंदिर बन रहा है।
हमें उम्मीद है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो फैसला आएगा वो सही होगा। मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि काशी विश्वनाथ के गौरी पार्वती को उस जमाने में लोग ज्ञानवापी कहते थे। माता के स्थल में ज्ञान का प्रकाश मिलता था। न्यायालय ने कहा कि अयोध्या के राम जन्म भूमि का अतित 500 वर्षों का है। न्यायालय ने अतित के साक्ष्य को देखा। 500 वर्ष बाद ही सही न्यायालय ने फैसला दिया और आज वहां मंदिर बन रहा है।

प्रमोद कुमार ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत का संविधान के प्रथम पृष्ठ पर रामलला के दरबार को दिखाया गया है। हनुमान जी की तस्वीर लगी हुई है। अकबर की भी तस्वीर है। इन सब बातों से ही आप यह समझ लीजिए कि आखिर भारत का संविधान इन लोगों का कितना सम्मान करता है।
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