*नई सरकार को हासिल है जनता का व्यापक समर्थन, इसलिए उम्मीदें भी काफी, सरकार उनकी उम्मीदें पूरी करे.
*बिहार सरकार को अस्थिर करने की किसी भी प्रकार की भाजपा की साजिश को चलने नहीं दिया जाएगा
*आंदोलनकारियों से वार्ता का रास्ता अपनाए सरकार, साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाने की मांग माले ने पुनः दुहराई.
*23-24 सितंबर को रोहतास के विक्रमगंज में अखिल भारतीय किसान महासभा का राष्ट्रीय सम्मेलन.
*आज शाम उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से माले महासचिव के नेतृत्व पार्टी प्रतिनिधिमंडल करेगा मुलाकात.
Patna, Beforeprint : भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में हुए बदलाव से पूरे देश में अच्छा व उत्साहवर्द्धक संदेश गया है. महाराष्ट्र में भाजपा द्वारा सरकार पर कब्जा, देश में एक ही पार्टी के रह जाने की जेपी नड्डा की घोषणा और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बार-बार अगले 40-50 सालों तक देश में भाजपा शासन जारी रहने जैसी बातें स्पष्ट करती हैं कि भाजपा देश में लोकतंत्र को खत्म कर देना चाहती है।
ऐसी स्थिति में पूरे देश को बिहार ने भरोसा दिया है और यह विश्वास भी जगा है कि भाजपा की साजिश को पीछे धकेला जा सकता है. बिहार में महागठबंधन का जो माॅडल बना है, आज देश के स्तर पर उसकी जरूरत महसूस हो रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले दिल्ली में उनसे मुलाकात की और आज शाम हमारी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात करेगा. दीपंकर शुक्रवार को पटना में मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
दीपंकर ने आगे कहा कि अब झारखंड में सरकार को अस्थिर व गिराने की साजिश चल रही है. गोवा में कांग्रेस के विधायकों को खरीद लिया गया. सत्ता व पैसा के बल पर भाजपा विपक्ष की पार्टियों को खत्म कर देना चाहती है. ऐसी साजिशों को हर हाल में नाकाम करना होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में विपक्ष की बनी व्यापक एकता से राज्य के अंदर भी सरकार से बड़ी उम्मीदें पैदा हुई हैं. हम चाहते हैं कि सरकार आंदोलनकारी समूहों से वार्ता का रास्ता अपनाए. हम एक बार फिर साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाने और उसके क्रियान्वयन के लिए कोआॅर्डिनेशन कमिटी की मांग करते हैं.
उन्होंने बेगूसराय की घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि घटनाक्रम एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है. यह कोई साधारण घटना नहीं है. दिनदहाड़े हाईवे पर दनानदन गोलियां चलाई गईं और आतंक की स्थिति पैदा की गई. इसकी जांच होनी चाहिए और पूरी सच्चाई को सामने लाना चाहिए। बिहार में सरकार तो बदल गई लेकिन गरीबों पर बुलडोजर अब भी चल रहे हैं।
एनआईए की छापेमारी जारी है. बिजली को लेकर संकट है। फर्जी बिल आ रहे हैं. सरकार के आश्वासन के बाद सफाईकर्मियों की हड़ताल खत्म हुई, लेकिन हजारों-हजार सफाईकर्मियों का तबादला कर दिया गया. यह उचित नहीं है। मजदूर-कर्मचारियों, रोजगार ढूंढ रहे युवाओं को इस सरकार से भरोसा मिले कि बदली हुई सरकार उनकी मांगों के प्रति गंभीर है। आज सिवान के बड़हरिया में 12 साल का बच्चा जेल में बंद है. अब भी प्रशासन पर भाजपा का दबाव है. हम एक ओर जहां भाजपा की साजिशों को नाकाम करने में सरकार की हर तरह से मदद करेंगे, वहीं जनता के आंदोलन को भी तेज करेंगे.
अगले साल की शुरूआत में पटना मे पार्टी का महाधिवेशन होने वाला है. नवंबर में खेत मजदूरों का सम्मेलन होगा. 23-24 सितंबर को विक्रमगंज में किसानों का सम्मेलन है. तमाम जनांदोलन के मोर्चे पर सम्मेलन हो रहे हैं. अगले साल तक सांगठनिक तैयारी का काम चलेगा.
अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा का एक महत्वपूर्ण संगठक अखिल भारतीय किसान महासभा का सम्मेलन हो रहा है. इसमें 25 राज्यों के 500 प्रतिनिधि शामिल होंगे. देश भर के किसान नेता भी शामिल हो रहे हैं.
किसान आंदोलन के दबाव में तीन कृषि कानून वापस हुए, लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर गई. किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं हुए. एमएसपी पर नकली कमिटी बनाई गई और इस सवाल को पीछे धकेलेने का काम किया गया. बिहार में एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली की मांग यथावत है. फसलों के लाभकारी मूल्य, एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी, बिहार में एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली, सोन नहर प्रणाली का आधुनिकीकरण, इंद्रपुरी जलाशय का निर्माण, गरीबों को सस्ते दर पर खाद्य की गारंटी, पीडीएस सिस्टम लागू करने आदि सवालों पर यह सम्मेलन हो रहा है.
संवाददता सम्मेलन में पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, पोलित ब्यूरो के सदस्य व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह तथा केंद्रीय कमिटी की सदस्य व ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी शामिल थे।