Beforeprint/Brahmanand Thakur: इस बार छठ पूजा पर महंगाई का असर साफ दिख रहा है। पहले इस पर्व के नाम पर जो सामग्री गांव देहात में श्रद्धा और आस्था के कारण मुफ्त मिल जाती थी, उसके लिए भी व्रतियों को अब जेबें ढीली करनी पड़ रही है। मिट्टी का हाथी 450 से 500 रुपये, घड़ा 40 से 50 रुपये और डाला के लिए बांस का ढकिया 300 से 350 रुपये की दर से लोग खरीद रहे हैं। बांस से बना सूप भी इस महंगाई में पीछे नहीं हैं। एक सूप की कीमत 100 रुपये है। इस बार कल नहा-खाय से छठ पर्व की शुरुआत हो रही है। शनिवार को खरना और रविवार को सायं कालीन अर्घ होगा। लिहाजा शहर से लेकर गांव के हाट-बाजार में खरीददारी करने के लिए लोगों की भीड़ उमर पड़ी है। बांस निर्मित ढकिया और टोकरी का बड़ा क्रेज है।
ढकिया 300 से 350 और टोकरी दो से सवा दौ सौ वाले रेंज में उपलब्ध है। मिट्टी के हाथी की कीमत पिछले साल से 100 रुपये बढ़ी हुई है। मिट्टी का घड़ा भी इस बार आंखें तरेरे हुए हैं। 30 रुपये घड़ा। कंद सहित आदी, हल्दी, मूली के पौधों, नींबू और ईंख से बाजार पटा हुआ है लेकिन कुछ भी सस्ता नहीं। सबकी मनमानी कीमत। पहले छठ के लिए आदी, मूली, हल्दी, ईंख, नींबू, नि:शुल्क व्रतियों को देने में किसान पुण्य भाव महसूस करते थे। जिनके घर गाय-भैंस दूध देती थी, वे खरना के लिए व्रतियों को इस अवसर पर थोडा_थोडा दूध बांट देते थे। अब ये चीजें भी पूरी तरह बाजार के हवाले हैं। पर बाजार भारी पड़ रहा है।
कहते हैं कि कभी घूरे के भी दिन फिरते हैं। छठ में यह कहावत मिट्टी के चुल्हे पर चरितार्थ हो रही है। गांव तो गांव, शहरी अपार्टमेंट में रह रहे लोगों को भी छठ में माटी के चूल्हे की दरकार होती है। करना का प्रसाद इसी मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। यह चूल्हा भी 50 रुपये की दर से बिक रहा है। बाजार भी लोगों को अपने उत्पाद के प्रति आकर्षित करने में पीछे नहीं। एक पर एक आकर्षक वस्तुएं छठ के अवसर पर बाजार में हाजिर। छठ पूजा के लिए इस बार भी बाजार में महिलाओं के लिए ‘शुभ छठ पूजा’ ‘लिखी लहठी की बिक्री काफी हो रही है। ऐसी दुकानों पर महिलाओं की भीड़ ही उनकी खास पसंद का प्रमाण है।