बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण ज़िला अंतर्गत मझौलिया के महनागनी में कार्यशाला आयोजित की गयी। टीबी को समाज से पूरी तरह से समाप्त करने के लिए सामुदायिक जागृति अतिआवश्यक है। इसलिए टीबी बीमारी के बारे में सामुदायिक जागरूकता की पहल करनी चाहिए। उपर्युक्त विचार जीविका के क्षेत्रीय समन्यवक विवेक चौबे ने व्यक्त किये।
मझौलिया प्रखंड के महनागनी के विजेता जीविका संकुल संघ में जीविका दीदियों के लिए केएचपीटी के आयोजित पर्सपेक्टिव बिल्डिंग वर्कशॉप को संबोधित किया। वर्कशॉप में केएचपीटी के सामुदायिक समन्यवक डॉ घनश्याम ने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी आना टीबी का मुख्य लक्षण हो सकता है। शाम को बुखार आना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना इसके अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। लेकिन, फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक बीमारी है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं। रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से ये जीवाणु हवा में फैल जाते हैं, और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह जीवाणु उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुँचकर उसे संक्रमित कर देते हैं। इसलिए टीबी के मरीज को साफ सफाई का ध्यान रखते हुए खांसते या छीकते समय रूमाल का प्रयोग करना चाहिए।
नीरज कुमार ने कहा कि लोग भी टीबी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करेंगी तो आसानी से टीबी बीमारी से निजात पाई जा सकती है। वर्कशॉप के दौरान समाज से टीबी बीमारी को मुक्त करने के लिए शपथ भी लिया। आपको बता दे कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग और केएचपीटी टीबी उन्मूलन अभियान में सामुदायिक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अवसर पर सीएम सीमा कुमारी, एमआरपी रेखा कुमारी उपस्थित रहे।
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