DESK : बिहार के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने सरकारी अस्पतालों के 700 से ज्यादा ऐसे डॉक्टरों पर कारवाई करने का ऐलान कर दिया है जो 6 महीने से लेकर 12 साल से तैनाती वाले अस्पताल में ना ड्यूटी करने जाते हैं और ना किसी का इलाज करते हैं लेकिन हर महीने सरकारी खजाने से वेतन उठाते हैं। तेजस्वी यादव ने एक समाचार चैनल से कहा कि सरकार लगभग 705 डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने जा रही है जो छह महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन सरकारी पैसा हर महीने उठा रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि एक डॉक्टर 12 साल से ड्यूटी पर नहीं आया है और सरकारी वेतन उठा रहा है। कुछ डॉक्टर पांच साल से तो कुछ दो साल से अस्पताल नहीं गए हैं। ये फाइल अब मेरे पास आई है। मेरी सरकार ने इन पर कड़ा एक्शन लेने का फैसला किया है। तेजस्वी ने दुख जताया कि ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग वाले डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं जाते हैं और शहर में निजी क्लिनिक में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग एक रेफरल नीति बना रहा है जिससे मरीजों का समुचित इलाज जिलों में ही हो सके और उन्हें रूटीन में पटना रेफर ना किया जा सके। उन्होंने कहा कि इससे पटना में मरीजों की संख्या घटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वो कोशिश कर रहे हैं कि हर जिले में ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था हो जिसके लिए लोग पटना आते हैं।
तेजस्वी यादव का गैरहाजिर डॉक्टरों पर कार्रवाई का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य के सरकारी डॉक्टर बायोमैट्रिक हाजिरी का विरोध कर रहे हैं। बिहार के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत करीब 7000 डॉक्टरों ने इसके विरोध में गुरुवार को ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया। डॉक्टर हर दिन और सप्ताह की ड्यूटी फिक्स करने, 45 परसेंट खाली पदों को भरने और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। आए दिन मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों और हेल्थ स्टाफ के साथ परिजनों की बदसलूकी की खबरें आती रहती हैं।