पूर्णिया/राजेश कुमार झा। भारतीय रेल को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। जहां हर दिन लाखें की संख्या में रोज यात्री ट्रेन में सफर करते हैं। भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा और एशिया में दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। देश में कुल 7,349 रेलवे स्टेशन है। ज्यादातर लोगों ने ट्रेन में जरूर सफर किया है। आपने रेलवे स्टेशन पर जरूर देखा होगा कि स्टेशन पर साइनबोर्ड हमेशा पीले रंग में होता है.लेकिन, क्या आपको पता है कि रेलवे के साइन बोर्ड को हमेशा पीला रंग का क्यों रंगा जाता है? तो चलिए हम आपको इसके पीछे के दिलचस्प कारण के बारे में बताते हैं-
पीले रंग का क्या मतलब है : पीले रंग के बोर्ड के पीछे का यह कारण है कि इस रंग का सीधा कनेक्शन सूर्य की रोशनी से संबंधित होता है। यह रंग मन को खुशी,ऊर्जा और बुद्धि देता है। इस रंग का बैकग्राउंड बाकी रंगों के मुकाबले बहुत प्रभावी होता है। यह मन पर बहुत पॉजिटिव असर डालता है.इसके साथ ही पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से लिखे शब्द दूर से ही साफ दिखाई देते हैं। यह आंखों पर भी जोर नहीं डालता है। दूर से दिखता है पीला रंग.आपको बता दें कि पीले रंग की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह दूर से ही नजर आ जाता है.ड्राइवर दूर से ही पीले रंग को देख लेता है।
इससे उसे यह पता चल जाता है कि आगे स्टेशन है और वह अपनी ट्रेन की गति को धीरे करने लगता है। इसके साथ ही स्टेशन के करीब आने पर ड्राइवर ज्यादा सतर्क हो जाता है। कई स्टेशन पर ट्रेनों को नहीं रुकना होता है। ऐसे में पीला बोर्ड देखकर ट्रेन का लोको पायलट भी सतर्क रहता है। वह हॉर्न बजाता रहता है.इससे स्टेशन पर मौजूद यात्री भी सतर्क रहते हैं और किसी तरह का हादसा नहीं होता है। इसके साथ ही आपने इस बात पर भी ध्यान दिया होगा की स्कूल बस भी पीली होती है। इससे यह पता चलता है कि पीला रंग दूर से ही दिख जाता है।
खतरे को बताने के लिए लाल रंग का होता है इस्तेमाल : आपको बता दें कि रेलवे में खतरे को बताने के लिए लाल रंग का इस्तेमाल क्या जाता है. इसके लिए लाल रंग के बैकग्राउंड पर सफेद रंग से लिखा जाता है। इससे दूर से ही खतरे के बारे में पता चल जाता है। रेल ट्रैफिक के लिए लाल रंग का खूब प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही गाड़ी के पीछे भी लाल रंग की बत्ती लगाई जाती है जिससे पीछे आने वाली गाड़ियां अपनी स्पीड स्लो कर लें।
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