रमई राम के निधन से बोचहा की जनता मर्माहत, 40 बर्षों तक किया था विधानसभा का प्रतिनिधित्व, बन गये थे पर्याय

बिहार मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर, बिफोर प्रिंट। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और बोचहा से 9 बार विधायक चुने गये रमई राम का आज निधन हो गया। उन्होंने पटना के मेदांता हास्पिटल में अंतिम सांस ली। वे कुछ दिनों से सुमिरन थे। रमई राम मुजफ्फरपुर जिले कै बोचहां सुरक्षित सीट से 9 बार विधायक चुने ग्रे थे और 15 साल तक विभिन्न विभागों का मंत्री पद संभाला। वे जनता पार्टी से लेकर आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू में रह चुके थे। बोचहा में हाल ही में हुए उपचुनाव में उन्होंने राजद छोड वीआईपी ज्वाइन किया था।

उनके निधन से मुजफ्फरपुर एवं बोचहा से लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर है। उन्हें आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का करीबी माना जाता था। बोचहा की जनता उन्हें विकास पुरुष मानती थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखी थी। रमई राम का राजनीतिक सफर मुजफ्फरपुर नगरपालिका के वार्ड सदस्य के रूप में शुरु हुआ 1972 में वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पहली बार विधानसभा चुनाव जीते थे। वे लगभग चार दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे।

इस दौरान जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, आरजेडी, कांग्रेस, लोजपा और जेडीयू के बाद वीआईपी में भी रहे। उन्हें आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव के सबसे करीबी नेताओं में से एक माना जाता था। हालांकि, लालू के बेटे तेजस्वी से उनके रिश्ते कुछ खास नहीं रहे। रमई राम लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार, दोनों के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान मंत्री पद का जिम्मा संभाला था।

वे भूमि सुधार और राजस्व के अलावा परिवहन, विद्युत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मंत्री भी रह चुके हैं। हाल ही में हुए बोचहा विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने अपनी बेटी गीता कुमारी को वीआईपी के टिकट से मैदान में उतारा था, मगर वह जीत नहीं पाईं।