Muzaffarpur,Brahmanand Thakur : मौसमीय वेधशाला पूसा के आकलन के अनुसार , कम दवाब का क्षेत्र बने रहने के कारण आज सुबह से उत्तर बिहार के जिलों में रुक-रुक कर हल्की बर्षा हो रही है।यह स्थिति अगले 24 घंटों तक बनी रहेगी।उसके बाद मौसम में सुधार होने की सम्भावना है।पिछले तीन दिनों का औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमशः 32.9 एवं 24.4 डिग्री सेल्सियस रहा। औसत सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 95 प्रतिशत एवं दोपहर में 75.33 प्रतिशत रही।, हवा की औसत गति 3.6 कि0मी0 प्रति घंटा एवं दैनिक वाष्पण 3.9 मि०मी० तथा सूर्य प्रकाश अवधि औसतन 6.9 घन्टा प्रति दिन रिकार्ड किया गया तथा 5 से०मी० की गहराई पर भूमि का औसत तापमान सुबह में 29.4 एवं दोपहर में 35.4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इस अवधि में 16 मी0 मी० वर्षा हुई है।
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बिक्कर राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ,पूसा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा 05-08 अक्टुबर तक के लिए जारी मोसम पूर्वानुमान में बताया गया है कि अगले 24 घंटो तक कम दबाब के क्षेत्र के बरकरार रहने के कारण मौसम कीयही स्थिति बने रहने की सम्भावना है, जिससे उत्तर बिहार के अधिक्तर स्थानो पर हल्की- हल्की वर्षा होने का अनुमान है। 24 घंटो के बाद मौसम में सुधार होने की सम्भावना है।इस अवधि में अधिकतम तापमान 30 से 33 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है।
पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 12-16 कि0मी0 प्रति घंटा की रफ्तार से पूरवा हवा चलने की सम्भावना है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिति तथा दोपहर में 70 से 75 प्रतिति रहने की संभावना है। यह बर्षा धान की फसल के लिए अत्यंत लाभकारी है। किसानों को सलाह दी गई है किअगात रबी फसल के लिए खेत की तैयारी मौसम साफ रहने पर शुरू करें ।फसलों की स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए सड़ी-गली गोबर खाद का प्रबंध करें। 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद की मात्रा पूरे खेत में अच्छी प्रकार विखेरकर मिला दें। यह खाद भूमि की जलधारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाती है
धान की फसल जो गामा की अवस्था में हो, उसमें वर्षा का लाभ उठाते हुए प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन का उपरिवेषन करें धान की फसल जो दुग्धाअवस्था में आ गयी हो उसमें गंधी बग कीट की निगरानी करें इस कीट के शिपु एवं पौढ़ जब पौधों में बाली निकलती है तो यह बालियों का रस चुसना प्रारंभ कर देती हैं जिससे दाने खोखले एवं हल्के हो जाते हैं तथा छिलका का रंग सफेद हो जाता है। धान की दुग्धावस्था में यह पौधों को अधिक क्षति पहुचाती है जिससे उपज में काफी कमी होता है। इसके शरीर से विशेष प्रकार का बदबू निकलती है, जिसकी वजह से इसे खेतों में आसानी से पहचाना जा सकता है। इसकी संख्या जब अधिक हो जाती है तो एक-एक बाल पर कई कीट बैठे मिलते है। इसके नियंत्रण के लिए फॉलीडाल 10 प्रतिशत धूल का प्रति हेक्टेयर 10-15 किलोग्राम की दर से भूरकाव 8 बजे सुबह से पहले अथवा 5 बजे शाम के बाद बालियों पर करें खेतों के आस-पास के मेड़ों पर दवा का भूरकाव मौसम साफ रहने पर करें।
फूलगोभी की पूसा अगहनी, पूसी, पटना मेन, पूसा सिन्थेटिक 1, पूसा शुभ्रा, पूसा शरद पूसा मेधना, कापी कुवॉरी एवं अली स्नोबॉल आदि किस्मों की रोपाई करे। फूलगोभी की पिछात किस्मो जैसे माघी, स्नोकिंग, पूसा स्नोकिंग-1, पूसा-2, पूसा स्नोवॉल- 16, पूसा स्नोबॉल के 1 की नर्सरी में बुआई के लिए खेत की तैयारी शुरु करें पत्तागोभी की प्राइड ऑफ इण्डिया, गोल्डेन एकर, पूसा मुक्ता, पुसा अगेती एवं अर्ली ड्रम हेड किस्मों की बुआई नर्सरी में करे।