Dumraon : महारानी उषा रानी का जन्मोत्सव विद्यालय स्थापना दिवस के रूप में मनाई गई

बक्सर बिहार

डुमरांव की महारानी उषा रानी नारी सशक्तिकरण व स्वावलंबन की प्रतिक थी.

Buxar, Vikrant : डुमरांव राज परिवार की महारानी उषा रानी का जन्मोत्सव मार्बल हॉल में बालिका मध्य विद्यालय की स्थापना दिवस के रूप में मनाई. मौंके पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डुमरांव के अनुमंडल अधिकारी कुमार पंकज जी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डुमराव राजघराने के महाराज चंद्र विजय सिंह जी मौजूद रहे। मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत वैदिक रीति के साथ शंख ध्वनि और पुष्प वर्षा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि अनुमंडलाधिकारी और विशिष्ट अतिथि डुमरांव राज परिवार के महाराजा द्वारा महारानी उषा रानी के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। तत्पश्चात राष्ट्र के सम्मान में राष्ट्रगान का आयोजन किया गया. जिसमें विद्यालय की शिक्षिकाएं भी शामिल थी. इसके तत्पश्चात स्वागत गीत “मन की वीणा से गुंजित ध्वनि मंगलम” की मनमोहक प्रस्तुति कोमल कुमारी के नेतृत्व में कई अन्य बालिकाओं द्वारा की गई.

कार्यक्रम में मंच का संचालन शिक्षक सोनू वर्मा ने किया. शिक्षक श्री वर्मा ने विद्यालय के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि सन् 1955 में महारानी उषा रानी द्वारा 25 छात्राओं के साथ विद्वान महिला शैल कुमारी वर्मा की मदद से श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन इस विद्यालय की शुरुआत की गई थी. इसके बाद से यह विद्यालय अपनी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और नारी सशक्तिकरण को संबल प्रदान करते हुए निरंतरता बनाए रखी है। समारोह के दरम्यान विद्यालय की छात्राओ द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम में सरस्वती वंदना की प्रस्तुति शिवानी कुमारी, अनन्या और रिया श्रीवास्तव द्वारा “मां सरस्वती शारदे” अन्य कार्यक्रमों में “नैनोवाले ने” बोल के एकल नृत्य, युगल राधा कृष्ण और बिहार की पारंपरिक लोक नृत्य कजरी द्वारा प्रस्तुत की गई. कार्यक्रम के दरम्यान श्रोताओं व दर्शकों का मुख्य आकर्षण का ‘वृद्ध आश्रम’ पर आधारित मंचित नाटक बना रहा. मंचित नाटक के माध्यम से कलाकारों ने समाज में वयोवृद्ध की हो रही उपेक्षा को प्रदर्शित किया और वयोवृद्ध के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव रखने का संदेश भी दिया.नाटक देख दर्शकों की आंखें नम हो उठी और चंद देर के लिए सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर समाज में ऐसा क्यों हो रहा है।

इस नाटक का मंचन मुख्य शिक्षकों में सविता सिंह चंचल कुमारी एवं आकांक्षा कुमारी की संयुक्त प्रयास से किया गया। कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में शिक्षिकाओं मे यथा उषा जायसवाल, उषा सिंह,गीता कुमारी देवी, कांति कुमारी, शीला कुमारी, ददन प्रसाद, उपेंद्र कुमार दुबे, पूनम कुमारी, सुनीता, दिव्यांशु कुमार, सोनी सिंह, अंजू तिवारी, शिल्पी कुमारी, शिखा श्रीवास्तव, रेखा कुमारी, मोहम्मद सज्जाद अंसारी ,पूजा कुमारी, अफ्शा प्रवीण और शारीरिक शिक्षक राधेश्याम दुबे की भूमिका सराहनीय बताया गया। विद्यालय की पूर्व छात्रा रीतम दुबे एवं रूपम दुबे ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने मे महत्वपूर्ण योगदान दिया।मंच व्यवस्था में शिक्षिका आरती केसरी ने अपने अनुभव कौशल के बूते मजबूती के साथ डंटी रही.मंच पर प्रधानाध्यापक मोहम्मद शरीफ अंसारी के निर्देश पर प्रतिवेदन को दिव्यांशु कुमार उपाध्याय ने पढ़ा । कार्यक्रम के अंत में डुमराव राज परिवार के महाराजा चंद्र विजय सिंह ने विद्यालय संस्थापिका दिवगंत महारानी उषा रानी की जन्म दिन को विद्यालय स्थापना दिवस के रूप में मनाए पर विद्यालय परिवार को साधुवाद प्रदान किया और विद्यालय के विकास में सदैव हर संभव मदद का आश्वासन द