डुमरांवः सांस्कृतिक विरासत के पहचान जेपी सेनानी रामजी सिंह ‘शेरे दिल‘ का हुआ आकस्मिक निधन

बक्सर बिहार

बक्सर, विक्रांत। जीवन पर्यंत एक दल जनसंघ व भाजपा का दामन थामने वाले जे.पी.सेनानी रामजी सिंह शेरे दिल का रविवार को आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन की खबर दोपहर में फैलते ही पूरे डुमरांव नगर में शोक की लहर दौड़ गई। भाजपा नेंता रामजी सिंह शेरे दिल की पार्थिव शरीर का अतिंम दर्शन को लेकर सर्वदलीय कार्यकर्ताओ सहित सामान्य नागरिको का उनके नथुनी के बाग स्थित आवास पर भीड़ उमड़ पड़ी। उनके पार्थिव शरीर का दाह संस्कार के लिए निकले शव यात्रा मेें सर्वदलीय कार्यकर्ताओ की लंबी कतार लगी रही। मृतक का शव यात्रा दोपहर बेला में उनके निवास स्थान से बक्सर स्थित श्मशान घाट को निकला। बक्सर स्थित श्मशान घाट पर अतिंम संस्कार के दरम्यान मुखाग्नि उनके एकलौता पुत्र द्वारा प्रदान किया गया। शव यात्रा में नगर के प्रबुद्ध लोगो में कांग्रेसी नेंता दशरथ प्रसाद विद्यार्थी, राजद नेंता रामजी सिंह यादव, रामेश्वर सिंह, जीतेन्द्र यादव, लल्लू खां, गुलाम सरवर, सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप शरण, बीरबल चैधरी, राजू केशरी, जद यू के विशोकाचंद, लक्ष्मण चैधरी, संजय चंद्रबंशी, गोरख यादव, संघ के स्वंयसेवक समता कुमार सुनिल, धीरज कुमार मिश्रा उर्फ सोनू कुमार, कृष्ण कुमार केशरी एवं अशोक कुमार सहित सैकड़ो सामान्य नागरिक शरीक थे।

जीवन परिचय- डुमरांव नगर स्थित नथुनी के बाग मुहल्ला के निवासी रघुनाथ सिंह डाकपाल के चार पुत्रों में यथा भरत सिंह, लक्ष्मण यादव, शत्रुघ्न यादव में बड़े रामजी सिंह शेरे दिल छात्र जीवन मे ही राजनीति जुड़ गए थे। राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव के बीच शेरे दिल नें जीवन पर्यंत एक दल जनसंघ बाद में भाजपा का दामन थामे रखा । देश में लागू की गई आपात काल के दरम्यान शेरे दिल ने करीब 19 माह तक जेल में गुजारा। आर्थिक रूप से निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार के सदस्य शेरे दिल को चार पुत्री एवं दो पुत्र था। हाला कि युवा काल में एक पुत्र असमय दुनिया से चल बसा। चारो पुत्रियों की शादी हो चुकी है। उनके निधन के बाद घर में पत्नी सुगिया देवी के साथ पुत्र व वधु रह गए है।

कम पढ़े लिखे रहने के बावजूद कवि हृदय हास्य परिहास के लिए मशहूर रामजी सिंह शेरे दिल संस्कृति व कला के क्षेत्र में भी अपना योगदान देते थे। कला व संस्कृति से जुड़े कवि डा.बिहारी लाल प्रवीण, प्रदीप शरण एवं दशरथ प्रसाद विद्यार्थी कहते है कि अपनी धारदार तर्को के माध्यम से वैचारिक विरोधियों को चित करने वाले उपनाम शेरे दिल से मशहूर रामजी सिंह यादव स्थानीय सर्वदलीय कार्यकर्ताओ के चहेते थे। उन्होनें डुमरांव स्थित डाकघर में रात्रि प्रहरी के पद पर काम करने के बाद अवकाश ग्रहण किया था। बाद में उन्हे सरकार द्वारा जे.पी.सेनानी का सम्मान प्रदान किया गया था।