पुलिन त्रिपाठी। नूपुर शर्मा के समर्थन में कन्हैयालाल के फोन से पोस्ट तो हुई थी। मगर उसके लिए उसे काफी दंड मिल चुका था। सोशल मीडिया पर पोस्ट के लिए नाज़िम नाम के एक युवक ने उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखाई। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया था। वह फिलहाल जमानत पर बाहर था पर दूसरे पक्ष के लोग उसे लगातार जान से मारने की धमकी दे रहे थे। वह पुलिस वालों के सामने सुरक्षा के लिए गिड़गिड़ाता रहा पर पुलिस ने दी तो केवल सतर्क रहने की सलाह।
राजस्थान सरकार ने कन्हैयालाल की हत्या के मामले में लापरवाही बरतने के लिए बनवारलाल नाम के एक सहायक उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया है, लेकिन चूक इससे कहीं बड़ी है। जमानत पर छूटने के बाद से ही कन्हैया को जान से मारने की धमकी मिल रही थी। इस पर उसने पुलिस से मदद मांगी पर न तो उसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था की गई न धमकी देने वाले को ही पकड़ा गया।
सबसे पहले 9 जून को उनके फोन से निलंबित भाजपा नेता नुपुर शर्मा पर एक सोशल मीडिया पोस्ट की गई थी। इसके बाद तो उसकी जिंदगी में भूचाल ही आ गया। जो उसकी मौत के बाद ही थमा। अगले दिन यानी 10 जून को कन्हैयालाल ने पुलिस से एक शिकायत की थी कि दो लोग उसकी दुकान पर आए और उसका मोबाइल ले लिया। उन्होंने उसे बताया कि उसके फोन से एक आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट की गई है।
उन्होंने उस पोस्ट को डिलिट कर दिया। साथ ही भविष्य में ऐसी पोस्ट न करने के चेतावनी दी। फिर अचानक से अगले ही दिन यानी 11 जून को, कन्हैया लाल को घनमंडी पुलिस स्टेशन से फोन आया, जिसमें कहा गया था कि उसके पड़ोसी नाज़िम ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और उसे थाने आना होगा।
थाने पर पहुंचकर कन्हैया ने पुलिस को बताया कि उसे मोबाइल फोन चलाना नहीं आता था और पोस्ट को उसके बच्चे ने गलती से गेम खेलते हुए शेयर कर दिया होगा। हालांकि, उसे गिरफ्तार कर लिया गया और फिर अगले दिन वह जमानत पर रिहा हुआ। अभी घर लौटा ही था कि उसे जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। सहमे कन्हैया ने दुकान तक खोलनी बंद कर दी। 15 जून को वह फिर से थाने में लिखित शिकायत देने गया कि उसे उसकी दुकान नहीं खोलने दी जा रही है। नाजिम समेत पांच-सात लोग उसकी रेकी कर रहे हैं। उसने शिकायत की कि नाजिम और उसके दोस्तों ने कई व्हाट्सएप ग्रुपों में उसकी फोटो इस चेतावनी के साथ शेयर की थी कि अगर उसने अपनी टेलरिंग की दुकान खोली तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। कन्हैया ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार भी लगाई, जिसे अनसुना कर दिया गया। बल्कि शिकायत न दर्ज कर पुलिस दोनों पक्षों में समझौते का दबाव बनाने लगी। साथ ही पुलिस ने कन्हैया से कुछ दिनों के लिए सतर्क रहने को कहकर मामले की इतिश्री कर ली।