सीतामढी, रीगा, अभय सिंह। जिले में सूखे की चिंता के बाद यूरिया की किल्लत किसानों को परेशान कर रही है। इस कारण किसान काफी चिंतित और परेशान है। यूरिया का आवंटन जहां कम मात्रा में हो रहा है। दूसरी ओर लोगों को लग रहा है कि उन्हें सरकार द्वारा सहयोग नहीं दिया जा रहा है। इस कारण किसान आक्रोशित भी हो रहे हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा समय-समय पर बताया जा रहा है कि यूरिया पर्याप्त मात्रा में जिले में उपलब्ध है। लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं है। इसी कड़ी में रीगा में स्टेशन चौक सिनेमा हॉल के समीप यूरिया खाद के लिए पहुंचे सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने मंगल वार को सड़क जाम कर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया ।सरकार के खिलाफ जमकर नीतीश कुमार मुर्दाबाद जिला प्रशासन खाद दिलाओ, मोतीलाल विधायक शर्म करो आदि के जमकर नारे लगाए, प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने बताया कि एक सप्ताह से प्रतिरोज खाद के लिए आते हैं लेकिन देर संध्या तक बिना खाद के ही लौट जाते हैं।
स्थानीय दुकानदार रात के अंधेरे में आसानी से खाद को नेपाल के किसानों के हाथों बेच रहा है 500 से 700 रुपए प्रति बोरी खाद की कालाबाजारी चल रही है। लेकिन हम लोगों को खाद नहीं मिल रहा है इस दौरान तकरीबन 2 घंटे तक कड़ी धूप में सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने रीगा मेजरगंज पथ को जाम कर हंगामा किया इस दौरान एक किसान गर्मी के कारण बेहोश भी हो गया स्थानीय लोगों ने पानी का छींटा डालकर होश में लाया बताते चलें कि इलाके में खाद के लिए हाहाकार मचा हुआ है लेकिन स्थानीय दुकानदार के द्वारा अपने जान पहचान के किसानों को खाद दिया जा रहा है
जबकि वितरण के नाम पर सिर्फ फॉर्मेलिटी पूरा किया जाता है किसानों का कहना है कि दुकानदारों द्वारा 25 से 50 बोरी खाद बांट दिया जाता है बाकी खाद को आसानी से कालाबाजारी कर रात के अंधेरे में बेच दिया जाता हैं सोमवार की संध्या मिल चौक से चौकीदारों ने खाद से भरी एक टेंपो को जप्त किया था पूछने पर किसान बताया कि खाद मेरे रिश्तेदार का है हालांकि पुलिस ने किसान को तकरीबन 1 घंटे तक रोकने के बाद मामले को रफा-दफा कर छोड़ दिया
विगत 1 सप्ताह पूर्व खाद के लिए मिल चौक बिस्कोमान के समीप पुलिस के द्वारा चलाए गए लाठी से एक किसान जीतू सहनी बुरी तरह जख्मी हो गया था, जिला प्रशासन के द्वारा दावा किया जाता हैं कि इलाके में खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध है लेकिन खाद की कालाबाजारी करने से दुकानदार बाज नहीं आ रहा।