पहले अध्यक्ष का ‘इंतजाम’ फिर होगा सरकार का काम ! बदल गयी विधानसभा की कार्यसूची

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पटना/हेमंत कुमार। बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अब पद पर डेढ़ दो घंटे के मेहमान हैं। उनका ‘बाल हठ’-हम कुरसी न छोड़ब’- का इलाज ढूंढ लिया गया है। आज होने वाली विशेष बैठक की कार्यसूची बदल दी गयी है। विधानसभा कार्य संचालन नियावली का नियम 20 कहता है कि विधानसभा की बैठकों की कार्यसूची सदन नेता और सभा सचिव निर्धारित करेंगे। इसी नियम के तहत पूर्व निर्धारित कार्यसूची बदल गयी है। अब सबसे पहले अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। उसके बाद सरकार विश्वासमत हासिल करेगी।

तीसरी दफा बिहार विधानसभा के इतिहास में हो रहा यह खेल

जाहिर है ऐसी स्थिति में आसन पर विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी होंगे! विजय कुमार सिन्हा सदन में सामान्य सदस्य की तरह बैठकर अपनी बर्बादी का तमाशा देखेंगे या इस्तीफा देकर निकल जायेंगे, यह उनको तय करना है! बिहार विधानसभा के इतिहास में यह तीसरा मौका है, जब अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। पहली बार जब प्रस्ताव आया था, तब अध्यक्ष ने इस्तीफा कर दिया था। दूसरी बार प्रस्ताव वापस ले लिया गया था!

बैठक शुरू होगी 11 बजे, सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर ही चर्चा

विधानसभा की बैठक आज सुबह 11 बजे शुरू होगी। अध्यक्ष के संबोधन के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। उसके बाद सरकार विश्वासमत हासिल करेगी! बिहार विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 243 है, राजद के अनंत सिंह की सदस्यता समाप्त होने और बीजेपी के सुभाष सिंह के निधन से सदन का संख्या बल 241 पर आ गया हुआ है।

इसमें राजद 79, कांग्रेस 19,भाकपा-माले 12, सीपीआइ 02, सीपीएम 02 और निर्दलीय 01सदस्य महागठबंधन के खेमे में हैं। एआइएमआइएम का ए सदस्य दोनों गठबंधन से अलग है। जबकि बीजेपी 76 सदस्यों के साथ अकेले है। ऐसी सूरत में विजय कुमार सिन्हा अगर अपनी जिद की वजह से अड़े रहे तो सदन में उनकी फजीहत के सिवा कुछ नहीं होने जा रहा है।

अच्छा होता कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा इस्तीफा देकर सम्मानपूर्वक निकल जाते। लेकिन उनकी जिद से लग रहा है कि वह अपनी इज्जत खराब कराने के बाद ही बाहर आयेंगे। यह तय है कि विजय कुमार सिन्हा अविश्वास प्रस्ताव के जरिय हटाये जायेंगे। मंगलवार को अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपने खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। लगे हाथ यह भी कहा था कि वह इस्तीफा भी नहीं देंगे।

विजय कुमार सिन्हा और बीजेपी चाहती हाई वोल्टेज ड्रामा

ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है कि अध्यक्ष विधानसभा के भीतर एक संविधानिक संकट पैदा करना चाह रहे हैं। लेकिन वह भूल रहे हैं कि सदन का अंकगणित पूरी तरह उनके खिलाफ है। सरकार को 164 विधायकों समर्थन प्राप्त है। बीजेपी के पास 76 विधायक हैं। जबकि एआइएमआइएम का एक विधायक है। सिन्हा ने मंगलवार, 23 अगस्त को प्रेस सलाहकार समिति की बैठक के दौरान अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने और इस्तीफा न देने की घोषणा की थी । कारण बताया कि अविश्वास प्रस्ताव नियम और प्रावधानों के खिलाफ है।

जानकारों का कहना है कि महत्वपूर्ण बात तो यह है कि अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने की घोषणा सदन के बाहर प्रेस कान्फ्रेंस में की है जो संसदीय परंपराओं और विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के खिलाफ है। अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सभा सचिवालय को 9 अगस्त को आनलाइन और 10 अगस्त को सदेह उपस्थित होकर 50 सदस्यों ने दिया था। अगर प्रस्ताव नियम और प्रावधान के विपरीत था तो उसे खारिज करने की सूचना सदस्यों को तत्काल देनी चाहिए थी। लेकिन अध्यक्ष ने विधानसभा की बैठक की पूर्व संध्या पर प्रेस कान्फ्रेंस में अविश्वास प्रस्ताव रद्द करने की घोषणा की।

थोड़ी देर के लिए मान लिया जाये कि अविश्वास प्रस्ताव नियम और प्रावधान के खिलाफ है, तब भी क्या सिन्हा कुर्सी पर बने रह सकते हैं? कत्तई नहीं! सदन का अंकगणित उनके खिलाफ है। तब सवाल उठता है कि सिन्हा ऐसी हरकत क्यों कर रहे हैं! तो जवाब है, बीजेपी इस अवसर को हाइवोल्टेज ड्रामा बनाना चाह रही है। हंगामा, तोड़फोड़, मारपीट की तैयारी है। लेकिन बीजेपी यह भूल रही है, ऐसा कोई भी दुस्साहस उसे महंगा पड़ेगा! सत्ता में राजद की वापसी को लेकर वह बिहार में ‘जंगलराज की वापसी’ का जितना भी ढोल पीट ले, महंगाई, बेरोजगारी, चौतरफा नफरत और हिंसा के माहौल ने जनता में उसकी साख को जो पलीता लगा है, वह फटेगा ही। उसे कोई रोक नहीं पायेगा!