वीटीआर से भटका रॉयल बंगाल टाइगर टेंकुलाइजर गन से वन कर्मियों ने पकड़ा

बिहार बेतिया

डीएफओ व अन्य पदाधिकारी की पहल व जागरुक ग्रामीणों के सहयोग से मुरली गांव के पास पकड़ा गया

बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा। पश्चिम चम्पारण जिला के वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना अंतर्गत के मंगुराहां वन क्षेत्र से भटका रॉयल बंगाल टाइगर विगत एक पखवाड़े से लोगों को भयाक्रांत कर रखा था। उपर्युक्त बाघ के भय से लोगों का खेत जाना, काम करना, रास्ता चलना कठिन हो गया था। विगत दिनों पशुओं का शिकार करने वाला रॉयल बंगाल टाइगर गन्ना किसानों पर हमला कर पूरी तरह ग्रामीणों को भयभीत कर रखा था। जिसकी सूचना पर वन्यकर्मी व वन पदाधिकारी दो दिन से कैम्प करते रहे।

अंततोगत्वा मुरली भरहवा के गांव स्थित मंदिर के पास गेहूँ के खेत में रॉयल बंगाल टाइगर को वन विभाग के वन्यजीव की दक्ष टीम ने गुरुवार की अपराह्न पकड़ दिया। उल्लेखनीय है कि रॉयल बंगाल टाइगर विगत एक पखवाड़े पूर्व वीटीआर से निकलकर पंडई नदी के रास्ते मठ मंझरिया गांव पहुँच कर आवासीय क्षेत्र की बकरा व बकरी को शिकार बनाया। जिसकी सूचना वन्य पदाधिकारियों को दी गई। बुधवार से वन विभाग के कर्मियों व पदाधिकारियों ने बेलवा पंचायत के पिपरा गांव में कैम्प किया।

अंततः गुरुवार दोपहर बाद मुरली गांव के मंदिर के पास स्थित बगीचा के पश्चिम गेहूँ के खेत में उसे पकड़ लिया गया। वन विभाग व वहाँ के दिलेर ग्रामीणों की पहल पर रॉयल बंगाल टाइगर गुरुवार को सुरक्षित पकड़ लिया गया। बुधवार की रात में पंडई नदी के रास्ते उत्तर दिशा में बढ़ते हुए, बाघ मुरली गांव के गेहूं के खेत में बैठ गया। अहले सुबह खुले में शौच को निकले मुरली गांव के किशुन साह ने रॉयल बंगाल टाइगर को गेहूं के खेत में देखा। किसुन की सुचना पर ग्रामीण जुटे, लोगों एक एकत्र होने की भनक पर बाघ गेहूं के खेत में इधर-उधर घूमने लगा।

मुरली गाँव के लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। वन विभाग के डीएफओ, मंगुरहा रेंजर, डॉक्टर व दर्जनों वनकर्मी, पी.टी, टी.टी. व एसएसबी के जवान वहां पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। पटना से पहुँची वन विभाग की दक्ष टीम के कर्मी व पदाधिकारी टेंकुलाइजर गन से बाघ को बेहोश कर पिजड़े में बंद कर लिया। रॉयल बंगाल टाइगर (बाघ) को पकड़े जाने की ख़बर के बाद क्षेत्र के लोग भयमुक्त हो गए।

वन कर्मियों ने बताया कि टेंकुलर गन से घायल रॉयल बंगाल टाइगर की प्राथमिक चिकित्सा कर दी गई है। उस बाघ को मेडिकल के लिए पटना भेजा जाएगा। वन विभाग के निर्णयोपरांत रॉयल बंगाल टाइगर को पटना या मंगुराहाँ वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। फिलहाल ग्रामीणों का भय खत्म हो गया है, लोग अपने खेत खलिहान में बेख़ौफ़ काम करेंगे।

यह भी पढ़ें…