Patna, Beforeprint : बिहार में इस वक्त निकाय चुनाव का मुद्दा बेहद गरमा गया है। जहा एक ओर सत्तापक्ष विपक्ष को इसका जिम्मेवार ठहरा रहा है तो वहीं विपक्ष का कहना है कि ये सत्तापक्ष की नाकामी का नतीजा है। इसी बीच एक मुद्दा ये भी उठा कि बिहार निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर लापरवाही बरती गई।
जिसके बाद बीजेपी की ओर से सुशील मोदी ने कहा था कि सीएम नीतीश कुमार की नाकामी के चलते बिहार निकाय चुनाव रुक गया और तो ओर सुशील मोदी ने ये भी कहा था कि बिहार में आरक्षण बीजेपी की दें है. वही इसके जवाब में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि 2007 में जब सुशील मोदी बिहार के नगर विकास मंत्री थे तब से इसी तरह से निकाय चुनाव होता आ रहा है। जिसके बाद सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को याद दिलाया था. वहीं आज एक बार फिर से बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्य सभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कुछ सवाल पूछे हैं।
सुशील मोदी ने पूछा है कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ों को निकाय चुनाव में राजनीतिक आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने का अपना निर्देश दोहराया, तब भी क्या नीतीश सरकार आयोग का गठन नहीं करेगी? सुशील मोदी ने कहा कि आयोग बनाने और ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अतिपिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का सुझाव भाजपा का नहीं, बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय का पूरे देश पर लागू होने वाला दिशा-निर्देश है। उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता ने इस वर्ष 4 फरवरी और 12 मार्च को, दो बार सरकार को पत्र लिख कर विशेष आयोग बनाने का मंतव्य दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ। सुशील मोदी ने ये भी कहा कि महाधिवक्ता ने तीसरी बार जो मंतव्य भेजा , वह किसके दबाव में बदला गया?
उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश के निकाय चुनावों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण-संबंधी दिशा-निर्देश उद्धृत करते हुए कई बार पत्र लिख कर नीतीश सरकार की राय मांगी लेकिन इस पर चुप्पी क्यों साध ली गई? सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की आरक्षण-विरोधी नीयत के चलते न विशेष आयोग बना, न निकाय चुनाव में आरक्षण तय हुआ। उन्होंने कहा कि मतदान से सप्ताह भर पहले चुनाव पर रोक लगने और हजारों अतिपिछड़ा उम्मीदवारों के करोड़ों रुपये की क्षति के लिए कौन जिम्मेदार है? वहीं नीतीश कुमार को सलाह देते हुए सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री को स्थगित निकाय चुनाव के प्रत्याशियों के नुकसान की क्षतिपूर्ति का प्रावधान करना चाहिए।
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