सरकार शराबबंदी के बहाने दलितों-महादलितों व गरीबों पर जोर-जुल्म बंद करे : माले

बिहार मुजफ्फरपुर

देवरिया थाने के सामने माले कार्यकर्ताओं द्वारा बैनर लगा कर धरना देने पर रोक लगाने वाले थाना प्रभारी पर सख्त कारवाई की मांग.

मुजफ्फरपुर, बिफोर प्रिंट। भाकपा-माले जिला सचिव कृष्णमोहन ने कहा है कि शराबबंदी के नाम पर दलितों-महादलितों व गरीबों को गिरफ्तार कर जेल में बंद करने पर नीतीश सरकार रोक लगाये। पुलिस-प्रशासन शराब माफियाओं पर कारवाई करने के बदले गांव-टोले में ताड़ी उतारने व बेचने वाले मांझी,पासी,पासवान, सहनी जैसे अत्यंत गरीब समुदाय को प्रताड़ित करने और उनके मान-सम्मान को रौदने में जुटा हुआ है। उनके घरों में भी जबरन घुसकर महिलाओं के साथ गाली-गलौज, तोड़-फोड़ और बदसलूकी आम बात हो गई है। पुरुषों के साथ कई जगह महिलाओं को भी गिरफ्तार करने की खबर है। सरकार ने पुलिस को मनमानी करने की छूट दे रखी है। गरीबों की गिरफ्तारी और शराब माफियाओं व धंधेबाजों को संरक्षण का खतरनाक खेल जारी है। और इसके लिए सीधे सरकार जिम्मेदार है।

माले सचिव ने कहा है कि पिछली रात देवरिया थाने की पुलिस ने मुहब्बतपुर गांव के एक गरीब टोले में घुसकर तीन गरीबों को तथा आसपास के गांवों से भी कई गरीबों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इसके खिलाफ जब स्थानीय माले नेता वीरबहादुर सहनी थाना के सामने पार्टी का झंडा-बैनर लगा कर कई लोगों के साथ धरना पर बैठ गए तो थाना प्रभारी ने झंडा-बैनर लगाने पर रोक लगा दी। गरीबों की फर्जी गिरफ्तारी के खिलाफ धरना देने पर रोक लगाने वाले ऐसे थाना प्रभारी पर सरकार को सख्त कारवाई करनी होगी।

माले सचिव ने आगे कहा है कि कुछ दिन पहले कटरा प्रखंड के सिंघवाड़ी गांव के एक पासी टोले में दर्जनों पुलिस घुसकर गाली-गलौज और तोड़फोड़ की और महिलाओं को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। शराबबंदी के नाम पूरे जिले में गरीबों पर पुलिसिया बर्बरता जारी है। यह गरीबों के जीने के अधिकार पर हमला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दलितों-महादलितों व गरीबों की गिरफ्तारी पर रोक तथा जेल में बंद गरीबों को रिहा करने की गारंटी करनी चाहिए।