मंकीपॉक्स से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की गाइडलाइन

छपरा न्यूज़ बिहार

•मंकीपॉक्स का शक होने पर स्वास्थ्य कर्मी लेंगे सैंपल
•स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी प्रोटोकॉल निजी अस्पतालों में भी लागू होगा
•संक्रमण के छह से 13 दिनों के अंदर इस रोग के लक्षण दिखेगा सामने

छपरा, बीपी प्रतिनिधि। मंकीपॉक्स संक्रमण के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मंकीपॉक्स की रोकथाम संबंधी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा गया है। जिला स्तर पर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल के पालन करने का निर्देश दिया गया है। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों फैलने वाला एक वायरस है, जिसमें स्मॉल पॉक्स जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि यह इलाज की दृष्टि से कम गंभीर है। 1960 में चेचक के उन्मूलन और बाद में स्मॉल पॉक्स के टीकाकरण की समाप्ति के साथ मंकीपॉक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद गंभीर समस्या बनकर उमरा है। मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्सविरिडि परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस प्रजाति से संबंधित है।

कई जानवरों की प्रजातियों को मंकीपॉक्स वायरस के लिए जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में रस्सी गिलहरी पेड़ गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्निस, गैर-मानव प्राइनेट और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। मंकीपॉक्स वायरस के प्राकृतिक इतिहास पर अनिश्चितता बनी हुई है और इनके प्रकृति में बने रहने के कारणों की पहचान करने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है। यदि मंकीपॉक्स का शक है तो स्वास्थ्य कर्मियों को उपयुक्त नमूना इकट्ठा करना चाहिए और इसे उचित क्षमता के साथ प्रयोगशाला में सुरक्षित रूप से पहुंचाना चाहिए। कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को उन उपायों के बारे में शिक्षित करना मंकीपॉक्स की मुख्य रोकथाम की रणनीति है।

स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट:

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी किसी मामले में तुरंत आवश्यक इलाज सुविधा मुहैया कराने के लिए कहा गया है। जिला में मंकीपॉक्स को लेकर अभी तक कोई मामला नहीं देखा गया है। लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी रखनी है. हालांकि यह एक संक्रामक रोग है लेकिन इसका इलाज मौजूद है। इसलिए रोग के प्रति भयभीत नहीं होना है। यह रोग जानलेवा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में है।

छह से 13 दिन में दिखता है रोग का लक्षण-
स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल में इस बात की जानकारी दी गयी है कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है जो वायरस से होता है। यह स्मॉल पॉक्स के समान ही एक रोग है। संक्रमण के छह से 13 दिनों के अंदर इस रोग के लक्षण सामने दिखते हैं। संक्रमण के लक्षणों बुखार के रूप में दिखते हैं. इसके साथ ही सिरदर्द, मांसपेशियों में जकड़न, अत्यधिक कमजोरी रहता है. बुखार के साथ त्वचा पर रैश हो जाता है। इसकी शुरुआत चेहरे से होती है। बाद में यह शरीर के दूसरे हिस्से में फैल जाती है। रैश होने पर इसमें खुजली हो सकती और आखिर में यह पपड़ी बन जाता है। संक्रमण आमतौर पर खुद ठीक हो जाता है। हालांकि इसमें 14 से 21 दिन लग सकते हैं। रोग से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह रोग होता है। ऐसे में संक्रमण को दूर रखने के सभी एहतियात का पालन करना आवश्यक है।

जागरूकता बढ़ाना रोकथाम की मुख्य रणनीति:

यदि मंकीपॉक्स का शक है तो स्वास्थ्य कर्मियों को उपयुक्त नमूना इकट्ठा करना चाहिए और इसे उचित क्षमता के साथ प्रयोगशाला में सुरक्षित रूप से पहुंचाना चाहिए। कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को उन उपायों के बारे में शिक्षित करना मंकीपॉक्स की मुख्य रोकथाम की रणनीति है। मंकीपॉक्स संदिग्धों की पहचान करने के लिए टीकाकरण विभाग द्वारा खसरा निगरानी को बढ़ाना सुनिश्चित हो। दिल्ली से रिपोर्ट किए गए मंकीपॉक्स के कुछ मामलों के कारण, हमें सतर्क रहने और निगरानी को बढ़ाने की आवश्यकता है। मंकीपॉक्स के लिए कोर सर्विलांस स्ट्रेटजी की जानी चाहिए।