बखरी/बेगूसराय/विनोद कर्ण। साल 2015 में फर्जी शिक्षक नियुक्ति घोटाले में निगरानी डीएसपी द्वारा बखरी थाना में एफआईआर दर्ज कराते ही फर्जी शिक्षकों के साथ-साथ पूरी नियोजन इकाई पुलिस के रडार पर आ गई है। निगरानी ने बखरी थाना में कुल पांच एफआईआर (FIR No.-39/22, 40/22, 41/22, 42/22 और 43/22) दर्ज करवाए हैं, जिसमें नगर पंचायत बखरी के तीन शिक्षकों व मोहनपुर पंचायत के दो शिक्षकों को नामजद किया गया है।
साथ ही बखरी पुलिस को इन फर्जी शिक्षकों को नियुक्ति देने वाली नियोजन इकाई के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों का नाम-पता की जानकारी लेकर नामजद कर कार्रवाई करने को कहा गया है। इसके बाद बखरी डीएसपी चंदन कुमार नियुक्ति घोटाले में शामिल अभियुक्तों के खिलाफ एक्शन की तैयारी में हैं। बखरी पुलिस ने प्रारंभिक जांच में यह पता कर लिया है कि साल 2015 में फर्जी शिक्षकों की बहाली के समय में नियोजन इकाइयों में कौन-कौन लोग थे।
पुलिस जल्द ही नियोजन इकाइयों से संबंधित फाइलों को अपने कब्जे में लेने की तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि बखरी नगर पंचायत में उस समय शिक्षकों के नियोजन लिए बनी नियोजन ईकाई में तत्कालीन मुख्य पार्षद गीता देवी कुशवाहा नियोजन इकाई की अध्यक्ष थी जबकि तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी अरविंद पासवान नियोजन इकाई के सचिव थे।
वहीं नगर पंचायत वार्ड-4 की तत्कालीन पार्षद सह शिक्षा समिति की अध्यक्ष कुमारी वीणा व बेगूसराय के तत्कालीन डीपीओ (स्थापना) महेंद्र पोद्दार नियोजन इकाई के पदेन सदस्य थे। वहीं बखरी प्रखंड के मोहनपुर पंचायत में फर्जी शिक्षकों की बहाली के समय तत्कालीन मुखिया उमेश राम नियोजन इकाई के अध्यक्ष व पंचायत सचिव अनिल कुमार नियोजन इकाई के सचिव की भूमिका में थे।
इसके अलावा सदस्यों में मोहनपुर पंचायत के तत्कालीन पंसस, एक वार्ड सदस्य व पर्यवेक्षक शिक्षक नियोजन इकाई के सदस्य की भूमिका में थे। सूत्रों के मुताबिक फर्जी शिक्षकों के नियोजन में फर्जी शिक्षकों के साथ-साथ नियोजन इकाई के सभी सदस्यों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। निगरानी ने अपनी जांच में पाया है कि बखरी नगर पंचायत व मोहनपुर पंचायत की शिक्षक नियोजन इकाईयों ने शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए सीडी से मिलान किए बिना ही अयोग्य व टीईटी फेल अभ्यर्थियों को शिक्षकों के रूप में नियुक्ति पत्र दे दिया था।
जबकि नियोजन इकाइयों को सरकार का स्पष्ट आदेश था कि शिक्षकों को नियुक्ति पत्र विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए सीडी से टीईटी उत्तीर्ण का मिलान करने के बाद ही देना था। बावजूद टीईटी की परीक्षा में 83 के बदले मात्र नौ और 20 अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को क्यों और कैसे शिक्षक बना दिया गया, पुलिस के लिए यह जांच का विषय है?
फर्जी शिक्षक नंबर-1 : बखरी नगर पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय मक्खाचक में कार्यरत शिक्षक अभिषेक कुमार ने नियुक्ति के समय जो टीईटी अंकपत्र लगाया था। उसमें उनका रोल नंबर – 0501110493, सीरियल नंबर- 038107, वर्ष-2011 और प्राप्तांक 115 दर्ज है। जबकि निगरानी विभाग को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सत्यापन प्रतिवेदन उपलब्ध कराया था। उसके अनुसार इन्हें मात्र 43 अंक मिला था, जिसे 115 बनाकर नियुक्ति ली गई थी।
फर्जी शिक्षक नंबर-2 : नगर पंचायत बखरी अंतर्गत उर्दू प्राथमिक विद्यालय बखरी की शिक्षिका सुधा कुमारी ने नियुक्ति के समय जो टीईटी अंकपत्र लगाया था। उसमें उनका रोल नंबर – 1723110044, सीरियल नंबर-128749, वर्ष-2011 और प्राप्तांक 97 दर्ज है। जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रतिवेदन में उन्हें महज 29 अंक प्राप्त हुए थे। जिसे 97 अंक बनाकर ये शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने में सफल हुए।
केस नंबर तीन : नगर के कन्या मध्य विद्यालय बखरी बाजार की शिक्षिका लक्ष्मी कुमारी ने रोल नंबर-0544110069, सीरियल नंबर-008689, वर्ष-2011 और प्राप्तांक 110 का फर्जी अंकपत्र लगाया था। जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के जांच प्रतिवेदन में यह रोल नंबर देवेन्द्र प्रसाद के पुत्र आनन्द कुमार का मिला। तुक्का यह कि आनंद को भी महज नौ अंक टीईटी परीक्षा में मिले थे। लक्ष्मी ने नौ अंक वाले आनंद के अंकपत्र में हेराफेरी कर 110 अंक बना कर नौकरी प्राप्त कर लिया।
फर्जी शिक्षक नंबर-4 : इसी तरह बखरी प्रखंड के मोहनपुर पंचायत के नव सृजित प्राथमिक विद्यालय कारीलाल सिंह में कार्यरत शिक्षिका सरिता कुमारी ने टीईटी फेल दीपक कुमार गुप्ता के अंकपत्र की जगह अपना अंकपत्र लगा हेराफेरी कर नौकरी प्राप्त किया। दीपक का रोल नंबर – 0615111189, सीरियल नंबर – 029385, वर्ष-2011 और प्राप्तांक-61 अंक था। जिसे सरिता के द्वारा 85 अंक बनाकर फर्जी तरीके से नियोजन प्राप्त कर लिया।
फर्जी शिक्षक नंबर-5 : मोहनपुर पंचायत के नव सृजित प्राथमिक विद्यालय तरछुआ में कार्यरत शिक्षिका सुनीता कुमारी ने नियोजन के वक्त जो अंकपत्र लगाया उसमें रोल नंबर- 0534110056, सीरियल नंबर-05021615, वर्ष-2011 और प्राप्तांक 95 दर्ज था। जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा निगरानी विभाग को उपलब्ध कराए गए प्रतिवेदन में इन्हें महज 20 अंक प्राप्त हुआ था। जिसे बदल कर 95 बना इनके द्वारा नियोजन पत्र प्राप्त कर लिया गया।
निगरानी के शिकंजे में आ चुके हैं आधे दर्जन फर्जी शिक्षक : इस तरह से अब तक क्षेत्र के आधा दर्जन फर्जी शिक्षक निगरानी विभाग के शिकंजे में आ चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रखंड और नगर क्षेत्र में फर्जी शिक्षकों की संख्या और भी बढ़ सकती है। जिनके विरूद्ध लंबे समय से निगरानी विभाग की जांच चल रही है। अब धीरे-धीरे फर्जी प्रमाण पत्रों पर मोटी रकम खर्च कर जुगाड़ से नौकरी पाने वाले फर्जी शिक्षकों की पोल खुलनी शुरू हो गई है। ऐसे दर्जनों शिक्षक निगरानी जांच की जद में आ चुके हैं।
कभी भी इन शिक्षकों पर निगरानी की गाज गिर सकती है। जबकि सरकार ने ऐसे फर्जी शिक्षकों को क्षमादान का मौका देते हुए त्यागपत्र देने को कहा था। बावजूद फर्जी शिक्षक ढ़ीठ बने हुए थे। बहरहाल कुछ भी हो निगरानी की कार्रवाई से फर्जी शिक्षकों में हड़कंप मच गया है।इस संबंध में बखरी के इंस्पेक्टर सह थानाध्यक्ष बासुकीनाथ झा का कहना है कि निगरानी विभाग के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज कर मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है। ऐसे फर्जी शिक्षक को नियुक्ति देने वाले व इसमें संलिप्त लोग भी बख्शे नहीं जाएंगे।
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