- तीसरे स्थान पर रहे तीन बार के विजेता जदयू उम्मीदवार
- पहली वरीयता की गिनती में ही अशोक ने बना ली थी बढ़त
नवादा : राजद के बागी उम्मीदवार अशोक कुमार ने विधान परिषद चुनाव में जीत का स्वाद चखा है। उन्होंने राजद के श्रवण कुमार व जदयू के सलमान रागीब हराकर उच्च सदन का रास्ता तय किया। लगातार तीन बार से जीतने वाले जदयू उम्मीदवार सलमान रागीब मतों की गिनती में तीसरे स्थान पर अटक गए। कांग्रेस उम्मीदवार निवेदिता सिंह आसपास भी नहीं दिखीं।
निर्दलीय अशोक कुमार ने अंतिम राउंड तक चली गिनती में कुल 1434 मत लाकर जीत हासिल की। वहीं राजद प्रत्याशी श्रवण कुमार को 789 और जदयू प्रत्याशी सलमान रागीब को 707 मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी को महज 15 वोट से संतोष करना पड़ा। गौरतलब है कि पहली वरीयता की वोटों की गिनती में ही राजद के बागी उम्मीदवार व पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद के भतीजा अशोक कुमार ने अहम बढ़त बना ली थी।
11 राउंड तक हुई वोटों की गिनती
- विधान परिषद चुनाव के मतदान में कुल 2861 वोट डाले गए थे। गिनती के क्रम में 105 वोट रद घोषित किए गए। इस प्रकार 2756 मत वैध मिले, जिसकी गिनती कराई गई। प्रावधान के मुताबिक, कुल वैध मतों का आधा और एक अधिक वोट मिलने पर पहली वरीयता की गिनती में जीत की घोषणा कर दी जाती। यानि की पहली वरीयता की गिनती में जिस प्रत्याशी 1379 मत मिलते, वह विजयी होते। लेकिन किसी भी प्रत्याशी को 1379 मत प्राप्त नहीं हुए। अशोक पहली वरीयता की गिनती में 105 मत से पीछे रह गए। जिसके बाद आगे की गिनती हुई।
चाचा की राह पर निर्दलीय लड़ भतीजे ने दर्ज की जीत
नवादा : नवनिर्वाचित विधान पार्षद अशोक यादव ने चाचा राजबल्लभ प्रसाद की राह पर चलकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1995 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने राजबल्लभ प्रसाद को टिकट नहीं दिया था। उनके बजाए पार्टी ने चंद्रभूषण यादव पर भरोसा करते हुए टिकट दिया था। जिसके बाद राजबल्लभ ने छतरी छाप पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर सदन पहुंचे। बाद में उन्होंने लालू प्रसाद से ही हाथ मिलाया था।
कुछ इसी प्रकार विधान परिषद चुनाव में राजद ने अशोक कुमार की उम्मीदवारी को नकारते हुए श्रवण कुमार को पार्टी का टिकट थमा दिया। जिससे नाराज होकर अशोक ने बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की ठानी और जीत दर्ज की। इस प्रकार अशोक ने अपने चाचा के इतिहास को दोहराते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर उच्च सदन का सफर तय किया।
चाचा पर टिका नवनिर्वाचित एमएलसी के राजनैतिक भविष्य का फैसला
नवादा : विधान परिषद चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद अशोक कुमार के राजनैतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। चाचा राजबल्लभ प्रसाद का इतिहास दुहराते हुए वे वापस राजद को ज्वाईन करेंगे या फिर दिवंगत विधायक पिता स्व. कृष्णा प्रसाद के पुराने घर की राह पकड़ेंगे, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
राजनैतिक गलियारों में तमाम प्रकार की कयासबाजी हो रही है। हालांकि नवनिर्वाचित एमएलसी अशोक ने यह साफ कर दिया है कि चाचा राजबल्लभ प्रसाद ही उनके भविष्य का फैसला करेंगे। वह जो आदेश करेंगे, उसका पालन किया जाएगा। भाजपा में जाने के सवाल पर भी उन्होंने दो टूक कहा कि चाचा जो भी फैसला करेंगे, उसे ही मानेंगे।
नवादा ने दिया संदेश, काम करने वालों को ही मिलेगा मौका : अशोक
नवादा : नवनिर्वाचित विधान परिषद सदस्य अशोक यादव ने कहा कि उनकी जीत में समाज के सभी वर्गों का पूरा साथ मिला है। जात-पात पूरी फेल हो गया है। युवा फैक्टर पूरी तरह काम किया। इस बार पंचायत चुनाव में अधिकांश युवा जीतकर आए हैं। उन युवाओं ने जातपात और धर्म नहीं देखा। उन्होंने सिर्फ यही देखा कि कौन जमीन पर काम करते हैं। साथ ही यह भी कहा कि उनका परिवार राजनीति में रहते हुए लोगों की सेवा करता रहा है।
जमीन पर काम करने का ही नतीजा है कि आज उन्हें जीत मिली है। उन्होंने कहा कि जात-पात से ऊपर उठकर वोट कर नवादा ने पूरे बिहार को संदेश देने का काम किया है। नवादा ने पार्टियों को यह स्पष्ट मैसेज दिया है कि केवल टिकट देने से काम नहीं चलेगा। जीत उन्हें ही मिलेगी, जो जनता के बीच रहकर काम करते हैं। उन्होंने तमाम जिलेवासियों व जनप्रतिनिधियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि नवादा में विकासपरक जो काम पूरे नहीं हो सके हैं, उसके लिए सदन में आवाज उठाएंगे।
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