कुपोषित बच्चों को एईएस का खतरा अधिक : एसीएमओ

Health बिहार बिहारशरीफ

बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय। जिले में तेज धूप ने आने वाली गर्मी का अहसास करा दिया है। गर्मी के दिनों में जिले में एईएस रोग से ग्रसित बच्चों की ख़बरें आने लगती हैं। एईएस (एक्यूट इन्सेफ़लायीटिस सिंड्रोम ) जिसे आम बोलचाल की भाषा में चमकी बुखार भी कहते हैं, छोटे बच्चों को गर्मी के मौसम में जकड़ता है। देखा जाता है की इसकी चपेट में आने वाले बच्चे कुपोषित अथवा अतिकुपोषित बच्चों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे क्षेत्र जहाँ साफ़ सफाई की कमी रहती है वहां भी चमकी बुखार के केस पाए जाते हैं।

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विजय कुमार ने बताया कि चमकी बुखार होने का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन, ऐसा देखा जाता है कि बच्चों के सुपोषित एवं स्वस्थ रहने से इस रोग से ग्रसित होने की संभावना कम रहती है। रोग होने की स्थिति में स्वस्थ होने की संभावना किसी कुपोषित बच्चे के अनुपात में कई गुना अधिक होती है। सिविल सर्जन ने बताया कि गरीब व दूर दराज क्षेत्र के बच्चे जिन्हें किसी कारणवश पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा हो, उन्हें इस रोग का खतरा सर्वाधिक रहता है।

परिवार एवं समाज की भूमिका अहम : एसीएमओ ने बताया कि एईएस रोग का अभी तक इस वर्ष कोई केस जिले में रिकॉर्ड नहीं हुआ है। इससे सुरक्षित रहने के लिए परिवार एवं समाज की भूमिका सर्वोपरि है। एईएस रोग का उपचार संभव है और इसके लक्षण नजर आते ही तत्काल बच्चे को लेकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र अथवा अस्पताल लेकर जाएँ। जहाँ तक संभव हो बच्चों को तेज धूप से बचाएं और उन्हें रात में खाली पेट नहीं सोने दें। साफ़ सफाई का धयान रखकर हम सिर्फ चमकी बुखार ही नहीं बल्कि और कई तरह के रोग के चपेट में आने से बच सकते हैं। जनमानस को इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है।

ये हैं चमकी बुखार के लक्षण :
• तेज बुखार आना
• चमकी अथवा पूरे शरीर या किसी ख़ास अंग में ऐंठन होना
• दांत का चढ़ जाना
• बच्चे का सुस्त होना या बेहोश हो जाना
• शरीर में हरकत नहीं होना
• मानसिक स्थिति बिगड़ जाना

यह भी पढ़ें…

सामान्य उपचार एवं सावधानियां : कुछ उपाय के साथ सावधानियां रखकर बच्चों को चमकी बुखार से बचाया जा सकता है। इसके लिए बच्चोक को तेज धूप से बचाएं, दिन में दो बार नहलाएं।गर्मी बढ़ने पर बच्चों को ओआरएस का घोल अथवा नींबू पानी दें, रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं। तेज बुखार होने पर गीले कपड़े से शरीर को पोछें। बिना चिकित्सीय सलाह के अपने मन से बुखार की दवा बच्चों को ना दें। बेहोशी आने पर या दांत चढ़ जाने पर तत्काल अस्पताल ले जाएँ अथवा चिकित्सकों से संपर्क कर प्राथमिक प्रबंधन करें।