छपरा/बीपी प्रतिनिधि। आज कई देश भारत की प्रभावी कोविड प्रबंधन रणनीति से सीख ले रहे हैं। भारतवर्ष मजबूत नेतृत्व एवं प्रभावी कार्ययोजना के कारण कोरोना जैसी गंभीर वैश्विक चुनौती को मात देने में सफल हुआ है। यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कही। वे गुरुवार को कोविड प्रबंधन पर भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य की रणनीति पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश ने अपनी क्षमता को पहचान कर इसका इस्तेमाल प्रभावी रूप से किया, जिसमें ससमय देश के अंदर कोविड टीके का निर्माण शुरू करना एवं 180 करोड़ से अधिक कोविड टीके का डोज लगाना उल्लेखनीय है। देश में कोविड की तीसरी लहर का अन्य देशों की तुलना में भारत में न्यूनतम प्रभाव दिखा। एक दिन में 2.5 करोड़ से अधिक डोज देश में टीका आपूर्ति, उपलब्धता एवं टीकाकरण सत्रों का उचित प्रबंधन को प्रदर्शित करता है।
डॉ. मंडाविया ने कहा कि देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण, सेल्फ एवं होम आइसोलेशन एवं कंटेंटमेन्ट जोन के निर्माण पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश में 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर ई-संजीवनी यानी टेलीमेडिसिन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए जरुरी है कि एजीओ इसमें सक्रिय भूमिका अदा करें। समुदाय में लोगों को हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर की जानकारी दें एवं उन्हें केंद्र पर उपलब्ध कई गंभीर रोगों की जाँच एवं उपचार के विषय में प्रेरित भी करे।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की वजह से देश कोरोना जैसी महामारी के ख़िलाफ़ मजबूती से लड़ाई करने में सक्षम हो सका। वहीं नवाचार, प्रभावी सर्विलांस एवं टीकाकरण की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हुयी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी लाल अग्रवाल ने पीपीटी के जरिए कोविड प्रबंधन पर देश की रणनीति एवं इसमें मिली सफलता को विस्तार से प्रस्तुत किया।
यह भी पढ़ें…
उन्होंने बताया कि तीसरी लहर यानी ओमीक्रॉन को डेल्टा वेरियंट से 10 गुना तेजी से फ़ैलने वाला बताया गया था। देश एवं विदेश की कई मानक संस्थाओं ने इस बात की आशंका जाहिर की थी कि देश में जनवरी से फरवरी माह में प्रतिदिन 5 लाख से 16 लाख कोविड के मामले आ सकते हैं लेकिन देश में तीसरी लहर के पीक में भी सबसे अधिक 3.11 लाख कोविड केसेस आए जो अब घटकर औसतन 3500 रह गए हैं। तीसरी लहर में विश्व स्तर पर केवल 47.8% मौतों में कमी देखी गयी. वहीं भारत में 95% की कमी दर्ज हुयी।