मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। निराला निकेतन में हर महीने होने वाली महावाणी स्मरण गोष्ठी में आज अप्रत्याशित रूप से देश के जाने माने कवि गीतकार जुटे। आचार्यश्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के उपरांत अपने भाव और स्वर के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना ने प्रणाम निवेदित करते हुए कहा कि आचार्य जी ऐसे गीत पुरखे थे जिनको पढ़ते सुनते हुए हम लोगों ने अपने गीतों को संस्कारित और परिमार्जित किया है।
साहित्यगंधा के संपादक और अपनी धारदार अभिव्यक्ति के लिए सुपरिचित सर्वेश अस्थाना ने भावोद्गार प्रकट करते हुए कहा कि शास्त्री जी गीतऋषि थे। आज हम उनकी साधना स्थली पर आकर स्वयं को उनके आशीर्वाद से अभिषिक्त कर रहे हैं। सुर संस्कृति की समर्थ संवाहिका गीत कवयित्री डॉ सोनरूपा विशाल ने भावविह्वल स्वर में कहा कि साहित्य के सुमेरु, हिंदी साहित्य को अपनी स्वर्ण कलम से समृद्ध करने वाले छायावाद के पंचम कवि आचार्य श्री के चरणों में आने का यह सौभाग्य संचित पुण्यों का फल है।
साहित्य के विपुल और विरल सर्जक को मैं इस साहित्य तीर्थ में अनुभूत कर रही हूं। हास्य व्यंग्य के चर्चित कवि मुकुल महान और लटूरी लट्ठ ने कहा कि शास्त्री जी कवि सम्मेलन मंचों के एक विराट व्यक्तित्व थे और वह अपनी कृतियों में सदा जीवित रहेंगे। महावाणी स्मरण के संयोजक बेला पत्रिका के संपादक डॉ संजय पंकज ने अतिथि कवियों का स्वागत किया और कहा कि यहां एक साथ साहित्य की तीन तीन पीढ़ियां हर महीने की सात तारीख को आकर निश्चित रूप से रचना पाठ करके स्वयं को गौरवान्वित करती है।
जानकीवल्लभ शास्त्री ने लगभग साहित्य की समस्त विधाओं में श्रेष्ठ लेखन किया है। भारतीय समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा के महान ज्ञाता आचार्य जी ने अपनी लेखनी के माध्यम से सत्य का निदर्शन किया है। उनका महाकाव्य राधा और उपन्यास कालिदास ऐसी कालजई कृतियां हैं जो भाषा वैभव और भाव विस्तार के लिए सदा पठनीय और अनुकरणीय है। संजय पंकज ने शास्त्री जी के गीत – मैं गाऊं तेरा मंत्र समझ, जग मेरी वाणी कहे कहे सुनाकर वातावरण को रसमय कर दिया।
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अतिथि कवियों के साथ ही अंजनी कुमार पाठक, देवेंद्र कुमार, नरेंद्र मिश्र, अरुण कुमार तुलसी, सुमन कुमार मिश्र, हरि किशोर प्रसाद सिंह, रामवृक्ष चकपुरी, श्रवण कुमार, सहज कुमार, दीनबंधु आजाद तथा कुमार विभूति ने गीत गजल कविता का सुमधुर पाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए एचएल गुप्ता ने कहा कि आज की गोष्ठी देश के नामचीन कवियों के आने से बहुत ही समृद्ध और सार्थक हुई है।