मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार अनुसूचित जाति सब प्लान के अंतर्गत बिहार पशुविज्ञान विश्वविद्यालय पटना द्वारा आज बंदरा प्रखण्ड के मतलुपुर, कोरलाहा में मत्स्य प्रोजेक्ट स्थल पर मुर्गी पालन को लेकर विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया।
इस दौरान क्षेत्र के 60 चयनित अनुसूचित जाति परिवारों में मुर्गीपालन के लिए उन्नत वनराजा प्रजाति के चूजा एवं इनपुट वितरण भी किया गया।अधिकारियों ने बताया कि आज मतलुपुर के इस कार्यक्रम से बिहार में ऐसे आयोजन एवं वितरण की शुरुआत की गई है।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए निदेशक छात्र कल्याण सह नोडल ऑफिसर डॉ रमन त्रिवेदी ने अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए चलने वाली इस योजना पर प्रकाश डाला।
उन्होंने मुर्गी पालन के फायदों को भी बताया।कहा कि वंचित लोगों के लिये सरकार की विशेष योजना के तहत मुर्गी पालन के लिए बिहार में बीज वितरण कार्यक्रम की शुरुआत यहां से कराई गयी है।गांव में जो गरीब है।उनतक उनकी योजनाओं की पहुंच होगी। अंडों के सेवन से बीमारी से बचेंगे।मुर्गियों तथा अंडा को बेचने से आमदनी भी मिलेगी।
संचालक एवं प्रशिक्षक डॉ पंकज ने बताया कि वनराजा प्रजाति के चूजों का वितरण किया गया है। यह घर का खाना,मांस-मछली,पशुचारा,घास-पत्ते,चोकर-दाना आदि खाकर जीवित रहता है। इस मुर्गी से साढ़े 5 महीने में अंडा देना शुरू होगा। एक मुर्गी से एक साल में 180 से 200 अंडा मिलेगा।जिसका वजन साढ़े 5 किग्रा तक होता है।
इसके अंडे का वजन 55 ग्राम से 65ग्राम तक होता है। यह मुर्गी 2-3 दिन के अंतराल पर अंडा देती है।यह रोगरोधी प्रजाति है। इन चूजों का टीकाकरण के बाद वितरण किया गया है। इस दौरान मत्स्य प्रोजेक्ट के शिवराज सिंह, प्रखण्ड पशुचिकित्सक डॉ. आलोक कुमार, शिवकुमार त्रिवेदी भी थे। इस दौरान करीब सौ से ज्यादा ग्रामीण महिला-पुरुष पशुपालकों को प्रशिक्षण दिया गया।
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