Brahmanand Thakur : मोदी-नीत केंद्र की भाजपा सरकार के केंद्रीय बजट के सावधानीपूर्वक विश्लेषण उपरांत एआईकेकेएमएस के अध्यक्ष सत्यवान और महासचिव शंकर घोष ने आज कहा है कि यह बजट पूरी तरह से किसान-विरोधी, श्रमिक-विरोधी, जन-विरोधी बजट है। इसमें कृषि क्षेत्र में बजट आवंटन पांच प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 12 प्रतिशत, प्रधानमन्त्री किसान योजना में 13 प्रतिशत और मनरेगा में 13,000 करोड़ रुपये की कटौती की गई है, जो ग्रामीण मेहनतकश आबादी के रोजगार का एक स्रोत है।
यह सामान्य किसानों और कृषि श्रमिकों के प्रति केंद्रीय भाजपा सरकार के रवैये को दर्शाता है। जबकि ठीक इसी समय, इसी सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बजट आवंटन बढ़ाया है। इसमें कोई संदेह नहीं है, यह बजट आम किसानों और कृषि श्रमिकों के कंधों पर बोझ बढ़ाएगा। किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी और लागत से डेढ गुना दर से फसलों की सरकारी खरीद की मांग कर रहे हैं, लेकिन ‘नये भारत’ के इस बजट ने एमएसपी सुनिश्चित करने से जुड़े पीएम-एएसएसएचए फंड आवंटन पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
किसान संगठन साल भर ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार की मांग कर रहे थे। इन मांगों को पूरा करना तो दूर रहा, केंद्रीय भाजपा सरकार ने किसानों के उत्पीड़न और दमन का रास्ता अपनाया है। हम सभी किसानों और कृषि श्रमिकों से आग्रह करते हैं कि वे आगे आयें और केंद्रीय भाजपा सरकार की बहुराष्ट्रीय कम्पनी-परस्त नीतियों को परास्त करने के लिए मजदूर वर्ग के लोगों और मेहनतकश आबादी के अन्य तबकों के साथ मिलकर एक सशक्त किसान आंदोलन का निर्माण करें।