मुजफ्फरपुर बलात्कार-हत्याकांड पर भाजपा-जद (यू) की खामोशी शर्मनाक,भाकपा-माले व ऐपवा का पूरे बिहार में प्रतिवाद!

मुजफ्फरपुर

राम रहीम-आशाराम जैसे बलात्कारियों को पेरोल देने वाली मोदी सरकार घोर महिला विरोधी

पीड़ित परिजनों की सुरक्षा व उचित मुआवजे की गारंटी करे सरकार

स्टेट डेस्क/पटना: मुजफ्फरपुर में विगत 12 अगस्त को एक 14 वर्षीय दलित लड़की के साथ बलात्कार और फिर उसकी बर्बर हत्या पर भाजपा-जद (यू) की खामोशी के खिलाफ आज माले, ऐपवा व इंसाफ मंच के बैनर से पूरे राज्य में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए.

राजधानी पटना के अलावा समस्तीपुर, गया, आरा, बिहारशरीफ, बेगूसराय, पटना ग्रामीण के मसौढ़ी व पुनपुन, सासाराम, सिवान, नवादा, खगड़िया, वैशाली आदि केंद्रों पर प्रतिवाद मार्च आयोजित किए गए.

पटना में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, विधान पार्षद शशि यादव, ऐपवा की राज्य सचिव अनीता सिन्हा, राखी मेहता, नसरीन बानो आदि नेताओं के नेतृत्व में प्रतिरोध मार्च निकला और बुद्ध स्मृति पार्क के पास सभा आयोजित हुई. प्रदर्शन में जितेन्द्र कुमार, पन्नालाल सिंह, संजय यादव, अनय मेहता, मुर्तजा अली,

प्रकाश कुमार, मनमोहन कुमार, एस के शर्मा, अनिल अंशुमन, शिवसागर शर्मा, विनय कुमार, डॉ. अलीम अख्तर, पुनीत पाठक, हेमंत कुमार, आजाद, आबिदा खातून, रामेश्वर पासवान, उमेश सिंह, गौतम कुमार, मुजफ्फर आलम आदि उपस्थित थे.

प्रदर्शनकारी मुजफ्फरपुर कांड पर भाजपा-जदयू की खामोशी के खिलाफ लगातार नारे लगा रहे थे. पीड़ितो को दोषी ठहराने की संस्कृति पर रोक लगाओ, अपराधियों की अविलंब गिरफ्तारी हो, कार्यस्थल पर यौन हिंसा पर रोक लगाओ, पीड़िता के परिजन को सुरक्षा व उचित मुआवजा दो आदि नारे भी लगाए जा रहे थे.

मौके पर मीना तिवारी ने कहा कि आज पूरा देश कोलकाता बलात्कार व हत्या कांड के खिलाफ आंदोलित है. हर जगह से आवाज उठ रही है. लोग सड़क पर हैं. लेकिन कोलकाता कांड पर खूब बढ़-चढ़कर बोलने वाली भाजपा व जदयू बिहार के मुजफ्फरपुर की घटना पर चुप है. यह कैसा दोहरापन है?

उन्होंने कहा कि 12 अगस्त की रात में 14 साल की उस लड़की के साथ बर्बरता की सारी हदें पार कर दी गई, लेकिन 15 अगस्त को गांधी मैदान से बोलते हुए नीतीश कुमार के मुंह से एक शब्द नहीं निकला. उनका पूरा प्रशासन पीड़िता को ही दोषी ठहराने में लगा हुआ है. स्थानीय सांसद और विधायक अभी तक गांव में नहीं पहुंचे हैं. सरकार का कोई आला अधिकारी भी नहीं पहुंचा है. मुआवजे की कोई घोषणा नहीं की गई है.

16 अगस्त को माले व ऐपवा की टीम वहां पहुंची थी. गांव वालों व परिजनों से बात की. मां ममता का काम करती हैं, पीड़िता का भाई पंजाब में मजदूरी करता है. उस लड़की के पूरे शरीर पर घाव के निशान थे. कपड़े नहीं थे. बर्बर तरीके से उसे मारा गया था. लेकिन पुलिस का बयान लड़की को ही देाषी ठहराने वाला है. एसपी ने पहले कहा कि प्राइवेट पार्ट में कोई चोट नहीं है. कल उन्होंने बयान दिया कि अपराधी की उस लड़की से बात होती रही है.

उन्होंने एसपी से पूछा कि किसी की भी किसी से बात हो सकती है. क्या इस आधार पर बलात्कार व हत्या की निर्ममता कम हो जाती है? उन्होंने कहा कि लड़की को ही दोषी ठहरा दो, यह संस्कृति अब नहीं चलने वाली. अक्सर बलात्कारी जान-पहचान के ही होते हैं. इस आधार पर लड़की के साथ अत्याचार करने वाले से क्या सहानुभूति रखी जाएगी? इस संस्कृति के खिलाफ खड़ा होना होगा. प्रशासन को हम मामले की लीपापोती नहीं करने देंगे. सरकार अपने स्तर से हस्तक्षेप करे.

शशि यादव ने कहा कि मोदी शासन में पूरे देश में महिलाओं पर हमले बढ़े हैं. भाजपा का पूरा चरित्र ही महिला विरोधी है. आज आशाराम बापू और रामरहीम जैसे बलात्कारियों को पेरोल दिया जा रहा है. बिलकिस बानो के बलात्कारियों व हत्यारों का भाजपा द्वारा महिमामंडन किया गया था. खुद प्रधानमंत्री सैकड़ो महिलाओं की आबरू के साथ खेलने वाले प्रज्ववल रवन्ना जैसे अपराधियों का चुनाव प्रचार करते हैं. तब यह समझने में भला क्या दिक्कत हो सकती है कि मोदी सरकार महिला सुरक्षा की बात जितनी कर ले,

दरअसल भाजपा बलात्कारियों की संरक्षक है. इस प्रवृति के खिलाफ आज पूरा देश खड़ा हो रहा है. माले और ऐपवा नेताओं ने मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपित की तत्काल गिरफ्तारी, मृतक के परिजनों की सुरक्षा व 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की.