मुज्जफरपुर/बिफोरप्रिंट। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, कृषि मौसम विभाग जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केन्द्र डा० राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, द्वारा 24 से 28 मई तक के लिए मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान जारी किया गया है। इसमें विगत मौसम अवधि का आकलन करते हुए बताया गया है कि पिछले तीन दिनों का औसत अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 35.6 एवं 20.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
औसत सापेक्ष आर्द्रता 82 प्रतिशत सुबह में एवं दोपहर में 50 प्रतिशत, हवा की औसत गति 5.2 कि0मी0 प्रति घंटा एवं दैनिक वाष्पन 5.3 मि०मी० तथा सूर्य प्रकाश अवधि औसतन 7.0 घन्टा प्रति दिन रिकार्ड किया गया तथा 5 से०मी० की गहराई पर भूमि का औसत तापमान सुबह में 27.6 एवं दोपहर में 39.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इस अवधि में मौसम शुष्क रहा।
अगले 24-28 मई, 2023 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, पूर्वानुमानित अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के से मध्यम बादल छाये रह सकते हैं तथा इस अवधि में उत्तर बिहार के सभी जिलों के ज्यादातर स्थानों पर26 मई को हल्की वर्षा हो सकती है तथा कुछ स्थानों पर मध्यम वर्षा होने की भी सम्भावना है। बारिश के दौरान तेज हवा भी चल सकती है एवं कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने की भी सम्भावना है।
पूर्वानुमानित अवधि में अधिकतम तापमान 35-37 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 45 से 55 प्रतिशत रहने की सभावना है। • पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 13 से 15 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की सम्भावना है।
किसानों के लिए समसामयिक सुझाव
- पूर्वानुमानित अवधि में संभावित वर्षा को देखते हुए मक्का की कटनी, दौनी एवं दाने सुखाने का कार्य में सावधानी बरतें मूंग की तैयार फसल की
तुड़ाई वर्षा की सम्भावना को देखते हुए सावधानी पूर्वक करे। • लम्बी अवधि वाले धान की किस्में जैसे- राजश्री राजेन्द्र मंसुरी, राजेन्द्र स्वेता, किषोरी स्वर्णा स्वर्णा सब-1 वी०पी०टी०-5204 एवं सत्यम की नर्सरी लगा सकते हैं नेसरी के लिए खेत की तैयारी करें स्वस्थ पौध के लिए नेसरी में सड़ी हुई गोबर की खाद का व्यवहार करे नर्सरी में क्यारी को चौराई 1.25-1.5 मीटर तथा लम्बाई सुविधानुसार रखें एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई हेतु 800 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की नर्सरी तैयार करें। बीज की व्यवस्था प्रमाणित स्त्रोत से करे बीज गिराने के पूर्व बीजोपचार अवश्य कर लें।
- अदरक की बुआई करें। अदरक की मरान एवं नदिया किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुषसित है। खेत की जुताई में 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद, नेत्रजन 30 से 40 किलोग्राम, सहूर 50 किलोग्राम पोटास 80 से 100 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 20 से 25 किलोग्राम एवं बोरेक्स 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करे। अदरक के लिए बीज दर 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें। बीज प्रकन्द का आकार 20-30 ग्राम जिसमें 3 से 4 स्वस्थ कलियाँ हो रोपाई की दूरी 30×20 से०मी० रखे। अच्छे उपज के लिए शैडोमिल दया के 0.2 प्रतिषत घोल से उपचारित बीज की बुआई करें।
- खरीफ मक्का की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें खेत की जुताई में 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाष का व्यवहार करें। उत्तर विहार के लिए अनुशंसित मक्का की किस्में जैसे सुआन, देवकी शाक्तिमान-1 शाक्तिमान -2 राजेन्द्र संकर मक्का-3, गंगा-11 है भिंडी की फसल में फल एवं प्ररोह वेधक कीट की निगरानी करें। इसके पिल्लू भिंडी फलों के अन्दर छेद बनाकर उसके अन्दर घुसकर फलों को खाते हैं तथा इसे पूरी तरह नष्ट कर देते हैं इसकी रोकथाम के लिए सर्वप्रथम प्रभावित फलों को तोड़कर मिट्टी के अन्दर दबा दें अधिक नुकसान होने पर डाईमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1.5 मी०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें। लत्तर वाली सब्जियों में फल मक्खी कीट की निगरानी कर किसान भाई अब बुआई कर सकते है।
- अगात मूंग, उरद की तैयार फलियों की तुड़ाई वर्षा की सम्भावना को देखते हुए सावधानी पूर्वक कर सकते है पिछात बोयी गयी मूंग एवं तर की फसल में पीला मोजैक रोग की निगराणी करें। यह विषाणु द्वारा उत्पन्न होने वाला विनाषकारी रोग है जो सफेद मक्खी (एक रस घुसक कीट) के द्वारा फसल में प्रसारित होता है। इसके शुरुवाती लक्षण पत्तियों पर पीले धब्बे के रूप दिखाई देता है, बाद में पत्तियों तथा फलियों पूर्ण रूप से पीली हो जाती है। इन पत्तियों पर उत्तक दाय भी देखा जाता है। फलन काफी प्रभावित होता है उपचार हेतु रोग ग्रसित पौधों को शुरू में ही उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा इमिडाक्लोरोप्रिड 17.8 एस० एल० 03 मि०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें।
- निंडी की फसल में फल एवं प्ररोह वेचक कीट की निगरानी करें। इसके पिल्लू भिंडी फलों के अन्दर छेद बनाकर उसके अन्दर घुसकर फालों को खाते हैं तथा इसे पुरी तरह नष्ट कर देते हैं इसकी रोकथाम के लिए सर्वप्रथम प्रभावित फलों को तोड़कर मिट्टी के अन्दर दबा दें। अधिक नुकसान होने पर डाईमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 15 मी०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। लत्तर वाली सब्जियों में फल मक्खी कीट की निगरानी करे।