मुजफ्फरपुर/बिफोरप्रिंट। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने जिलाधिकारियों से कहा है कि वे अपने-अपने जिलों में नवाचार और स्टार्ट अप को बढ़ावा दें। क्षेत्र के औद्योगिक विकास में जिलाधिकारियों की अहम भूमिका होती है।एक अभिनव पहल करके आपदा को अवसर में बदला जा सकता है। उन्होंने आज बेला इंडस्ट्रियल एरिया ,मुजफ्फरपुर में उत्तर बिहार के जिला पदाधिकारियों की बैठक के दौरान अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में ये बातें कहीं। राज्य के औद्योगिक विकास में जिला पदाधिकारियों की महती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए आमिर सुबहानी ने कहा कि सभी जिला अधिकारी अपने-अपने जिलों में नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा दें।
नए आईडिया पर काम करते हुए बड़े उद्योगों के साथ-साथ मध्यम स्तर के और लघु उद्योगों की स्थापना पर बल दें। उन्होने चनपटिया मॉडल को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते कहा कि अभिनव पहल करके आपदा को अवसर में बदला जा सकता है। चनपटिया औद्योगिक नवप्रवर्तन जोन में वैसे नए उद्यमियों को मौका दिया गया जो कोविड-19 में दूसरे राज्यों से बिहार आए थे । चनपटिया का प्रयोग सफल रहा और उसकी सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हुई। चनपटिया औद्योगिक नवप्रवर्तन के लिए पश्चिम चंपारण के जिलाधिकारी को राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भी मिला । आमिर सुबहानी ने कहा कि बहुत सारे उद्यमी और मजदूर कोविड-19 की समाप्ति के बाद भी दूसरे शहरों में वापस नहीं गए हैं ,बल्कि अपने ही गांव और शहर में रहकर छोटा- बड़ा रोजगार कर रहे हैं। ऐसे उद्यमियों की पहचान कर उनके लिए विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग द्वारा बहुत ही बेहतरीन काम किया जा रहा है और सभी जिला अधिकारी उद्योग विभागकी योजना के अनुसार उद्यमियों को उद्योग स्थापित करने में मदद करें।उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संदीप पौण्डरीक ने कहा कि औद्योगिक विकास और नए उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता आवश्यक है। बिहार के इंडस्ट्रियल एरिया में 3 हजार एकड़ भूमि का लैंड बैंक मौजूद है। इसके अलावा 24 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में प्लग एंड प्ले इंडस्ट्रीज शेड बनाया गया है जो रेडी टू मूव है। प्लग एंड प्ले इंडस्ट्रियल शेड में उद्योगपति अपना मशीन लगाकर उत्पादन दो से तीन हफ्तों के अंदर प्रारंभ कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में पहले राज्य में लगभग 3 हजार लोगों को बैंकों से वित्तीय सहायता प्राप्त होती थी, लेकिन पिछले साल 8 हजार 8 सौ लोगों को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत क्रेडिट लिंक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के मदद के लिए पीएमएफएमई स्कीम के तहत 3 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयों को मदद पहुंचाई गई। इसी तरह से बिहार स्टार्टअप नीति के तहत 250 से अधिक स्टार्टअप कंपनियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत करीब 29 सौ लोगों को 2 हजार करोड़ से अधिक रुपए की सहायता दी जा चुकी है।