यूपीएससी की परीक्षा में नवादा के लाल आलोक रंजन ने प्राप्त किया 346वां स्थान, परिजनों में खुशी की लहर

मुजफ्फरपुर

नवादा (पंकज कुमार सिन्हा)। नवादा के लाल आलोक रंजन ने अपने आखिरी प्रयास में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा में 346 वां स्थान लाकर सफलता पाई है। उसकी सफलता की खबर जैसे ही उसके माता-पिता व परिजनों को मिलती है खुशी से झूम उठते हैं । आलोक रंजन नवादा जिले के रोह प्रखंड अंतर्गत गोढ़ीयारी ग्राम का निवासी है। आलोक रंजन के पिता नरेश प्रसाद यादव एवं माता सुशीला देवी दोनों शिक्षक व शिक्षिका हैं। वर्ष 2010 से लगातार प्रयासरत आलोक रंजन ने अपने सातवें प्रयास में यह सफलता हासिल की है।

आज दोपहर में जैसे ही यूपीएससी की परीक्षा की रिजल्ट घोषित हुई, सबसे पहले आलोक ने अपने मां को यह बहुत बड़ी खुशी सुनाई । फोन की घंटी बजते ही फोन उठाकर यह खुशी की खबर जैसे ही मिली उसकी मां की आंखों से आंसू छलक उठे। माता-पिता की कड़ी तपस्या और परिश्रम के बाद यह सफलता हासिल मिली है। पिता नरेश प्रसाद ने बताया कि मैंने अपने जीवन में अपने पुत्र को कुछ बनाने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए मैंने गांव में व नवादा में जमीन बेच दी। मेरा बेटा एक दिन ना एक दिन आईएएस जरूर बनेगा। आज वह दिन सफल हुआ है। आलोक रंजन की बहन अनूपमा रंजन भी सिविल सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली में ही प्रयासरत है।

जबकि आलोक रंजन का छोटा भाई अमित रंजन नवादा में एक कोचिंग चलाकर लोगों में शिक्षा बांटने का काम कर रहा है। आलोक रंजन नवादा के भाजपा नेता रंजीत यादव का भांजा है। आलोक रंजन के सफलता पर मामा रंजीत यादव ने भी प्रसन्नता व्यक्त की है तथा कहा है कि जितनी कड़ी मेहनत आलोक रंजन ने किया है उससे ज़्यादा कड़ी मेहनत हमारे बहन और बहनोई ने भी किया है। आज आलोक रंजन का रिजल्ट सुनकर माता-पिता के साथ-साथ सारे रिश्तेदार और नवादा के लोग काफी खुशी व्यक्त कर रहे हैं।

यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले आलोक रंजन नवादा के जीवन दीप पब्लिक स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास कर आगे की सफलता के लिए दिल्ली, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से स्नातक किया तथा इंजीनियरिंग करने के बाद वहीं रहकर तैयारी करने लगा। आलोक का पहले सिलेक्शन ईपीएफओ और आईबी में सब इंस्पेक्टर के पद पर भी हुआ परंतु उसने जॉइनिंग नहीं की और आखरी मुकाम तक यूपीएससी की सफलता के लिए लगा रहा। आलोक रंजन के सफल होने पर उसके विद्यालय के डायरेक्टर डॉ उर्मिला भगत ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आलोक को बधाई दी है। आलोक ने दूरभाष पर बताया कि आज यह मेरी सफलता मेरे माता-पिता के कड़े तपस्या का प्रतिफल है। मैं उनका ऋणी हूं। उनके प्रयास से ही यह सफलता हासिल हुई है।