ऊपर ही ऊपर पी जाते हैं जो पीने वाले हैं
ऐसे ही जग में जीते हैं जो जीने वाले हैं
Muzaffarpur/Beforeprint : निराला निकेतन में आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री के स्मारक पर आयोजित महावाणी स्मरण में मेघगीत और जानकीवल्लभ शास्त्री विषय पर बोलते हुए कवि साहित्यकार और बेला के संपादक डॉ संजय पंकज ने कहा कि आचार्यश्री को वर्षा और बसंत दोनों आकर्षित करते थे। उन्होंने मेघ के माध्यम से समाज, समय और राजनीतिक चरित्र को बड़ा ही मार्मिक और धारदार शब्दों में उजागर किया है।
करुणा और उत्साह से भरे आचार्यश्री विषय वैविध्य के साथ वसंत और मेघ राग गाते रहे। संवेदनशील मन में बादल और वसंत भाव विस्तार पाते हैं। डॉ पंकज ने अचार्य जी की पंक्तियों – कुपथ कुपथ रथ दौड़ता जो पथ निर्देशक वह है, लाज लजाती जिसकी कृति से धृति उपदेशक वह है – को उल्लेखित किया और कहा कि आज कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी की पुण्यतिथि है। समाजवादी चिंतक, स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर पत्रकार बेनीपुरी जी आचार्य जी को बड़ा स्नेह और सम्मान देते थे। बेनीपुरी जी श्रेष्ठ गद्दकार तो आचार्य जी श्रेष्ठ कवि थे।
दोनों की कई रचनाएं कालजयी हैं। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ उषा किरण ने भाव विभोर होकर आचार्यश्री को स्मरण करते हुए राष्ट्रीय भाव का गीत सुनाया – बहुत लिख चुके प्रेम की पांति, देश के हित की बात लिखो, शुभनारायण शुभंकर ने दिन बीत गए दिन बीत रहा, जो बाकी है वह बीतेगा, नरेन्द्र मिश्र ने कैदी शीर्षक गीत – बंधे पिंजरे में थके पंछियों का, उजड़ा हुआ नीड़ होगा विपिन में – सुनाकर स्वतंत्रता की महत्ता बताई।
संचालन करते हुए संजय पंकज ने अपना गीत – आओ मिलकर साथ चले हम, जीवन आसान करें, चार दिनों का होना सबका मिलजुल सम्मान करें – सुनाया। देवेन्द्र कुमार ने – दुख से घबराता है सुख का कामी, रामवृक्ष चकपुरी ने – नीयत साफ है अपनी कार्यशैली की रफ्तार बदलिए, सुमन कुमार मिश्र ने – जीवन के गुनधुन में होता हूं, फुर्सत में मैं कब होता हूं, अरुण कुमार तुलसी ने – है जगत की रीत निराली समरथ को सब देते ताली तो डी के विद्यार्थी ने बज्जिका में गीत सुनाया – जनता खेतिया इहां कएल तू भइया। कवियों ने विभिन्न विषयों पर केंद्रित गीत कविता मुक्तक सुना कर सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को प्रभावित किया। कुमार विभूति, प्रमोद आजाद ने भी अपने भाव व्यक्त किए। एच एल गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि मैं यहां आकर ऊर्जा प्राप्त करता हूं।