मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में निशाना बना रही है मोदी सरकार- महबूब आलम

मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur/Befoteprint लोकतंत्र, संविधान व देश बचाएं रोजी-रोटी और खुशहाली के लिए आवाज बुलंद करें समाजिक सद्भावना, शांति व एकता की भावना मजबूत करने के आह्वान के साथ भाकपा-माले और इंसाफ मंच के बैनर तले बोचहां प्रखंड के भुताने पंचायत के तुर्की गांव में शनिवार को जन एकजुटता सभा का आयोजन हुआ। सभा में भाकपा-माले पॉलिट ब्यूरो सदस्य सह महिला संगठन ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव कामनी तिवारी, माले विधायक दल के नेता का महबूब आलम और इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का आफताब आलम मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। सभा को संबोधित करते हुए महबूब आलम ने कहा कि कहा कि मोदी सरकार मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में निशाना बना रही है।

साथ ही प्रगतिशील बुद्धिजीवियों और सभी असहमति की आवाजों और न्याय व परिवर्तन के लिए लड़ने वाले सामाजिक समूहों को राष्ट्र-विरोधी बताकर घृणा व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि बढ़ते फासीवादी उन्माद और आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए, हमें देशभर में जुझारू लोगों की एकजुटता को मजबूत करना होगा। उन्होंने फासीवाद को हराने और लोकतंत्र की लड़ाई को जीतने के लिए सभी इंसाफ पसंद ताकतों और व्यापक विपक्ष के बीच घनिष्ठ एकता और सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि हम इस दिशा में आगे बढ़ सकेंगे और 2023 के हमारे प्रयास 2024 में लोकतंत्र की निर्णायक जीत का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

कामनी तिवारी ने कहा कि जैसे-जैसे फासीवादी मोदी सरकार की सभी मोर्चों पर घोर विफलता और विश्वासघात तेजी से उजागर हो रहा है वैसे-वैसे वह अधिक से अधिक झूठ बोलने और डराने-धमकाने का सहारा ले रही है। भाजपा-आरएसएस देश के सुनहरे इतिहास को बदल रही है, मोदी सरकार सावित्रीबाई और फातिमा शेख के सपनों कुचलने की कोशिश कर रही है, नफरत और उन्माद के सहारे देश शहीद-ए-आजम भगतसिंह-शहीद अशफ़ाकुल्लाह खां की साझी सांस्कृतिक साझी शहादत को मिटाने की कोशिश कर रही है. नागरिकता कानून, आरक्षण नीतियों में बदलाव और लोगों के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, श्रमिक वर्ग, किसानों, छोटे व्यापारियों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं के मौजूदा अधिकारों के क्षरण के साथ संविधान को ही खोखला और भीतर से कमजोर किया जा रहा है।

आफताब आलम ने कहा कि सब के लिए घर, बिजली, शौचालय और पानी मुहैया कराने के झूठे वादों की जगह अब बुल्‍डोजर से लोगों के घरों को ढहाया जा रहा है। नफरती और छद्म आध्‍यात्मिक गुरुओं द्वारा तथाकथित धार्मिक सभाओं के मंचों से खुले तौर पर मुसलमानों के जनसंहार के आह्वान किए जा रहे हैं। फासीवाद को हराने, संविधान को बचाने और भारत के लोगों के लिए एक प्रगतिशील और समृद्ध भविष्य बनाने की लोकप्रिय राजनीतिक इच्छाशक्ति की नींव पर ही जनता की देशव्यापी एकजुटता विकसित और सफल हो सकती है। उन्होने कहा कि बढ़ते फासीवादी उन्माद और आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए, हमें भारत भर में जुझारू लोगों की एकजुटता को मजबूत करने की जरूरत है.

इस अवसर माले जिला सचिव कृष्णमोहन,आफताब आलम,रामनंदन पासवान,विरेन्द्र साह,डाक्टर ज्योति रंजन आदि से भी संबोधित किया वहीं छात्र महबूब, छात्रा हसीना खातून, कहकशां परवीन, तराना उमर ने नज्म पेशे किया वहीं इस अवसर पर शत्रुघ्न सहनी, असलम रहमानी,फ़हद जमां,मोहम्मद अखलाक, अखिलेश राम, चंदेश्वर पाठक, होरील राय, मनोज यादव, विमलेश मिश्र,संजय दास आदि के एलावा बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं उपस्थित थीं। सभा की संचालन माले प्रखंड सचिव रामबालक सहनी ने किया वहीं मोहम्मद अबरार की धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा का समापन हुआ।