मुजफ्फरपुर : मोटे अनाज की खेती एवं उसके महत्व पर जागरूकता कार्यक्रम हुआ आयोजित

मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर : कृषि विज्ञान केन्द, सरैया, में आज मोटे अनाज एवं लघु धान्य फसलों की खेती एवं उसके महत्व को लेकर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के निर्देशानुसार किया गया।

इस प्रशिक्षण में केन्द्र की गृहविज्ञान वैज्ञानिक श्रीमती सविता कुमारी ने कृषको को मोटे अनाज के महत्व एवं उससे बनने वाले पोष्टिक खाद्य पद्धार्थ के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि मोटे अनाजों में मरूआ, मकई, जौ, बाजरा, चिना, सावां एंव कौनी आता हैं इसमें प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट, वसा, रेशा, कैल्शियम एवं लौह तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं, इसे पीस कर इसकी रोटी, मिश्रित आटे की लड्डू, हलवा, भवरा आदी बनाकर खाने से कई तरह की बीमारियों से निजात मिलता हैं। यह मधुमेह (सुगर) के रोगियों के लिए बहुत ही अच्छा भोजन हैं !

इस प्रशिक्षण में सहयोगी प्रशिक्षक डॉ. पंकज कुमार वैज्ञानिक मत्स्य विज्ञान एवं डॉ. रजनीश सिंह वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने प्रशिक्षुओं को यह बताया की मोटे अनाजों में मरूआ, मकई, जौ, बाजरा, चिना, सावां एंव कौनी हैं जिससे कि पहले हमारे पूर्वजों के समय खाने में प्रयोग किया जाता था। जिससे कि उन्हें कम से कम बीमारियों का सामना करना पडता था । अब फिर से इसे दोहराने की जरूरत हैं ताकि लोगों को ज्यादातर बीमारी का सामना नहीं करना पडे I मौसम के बदलते समय में यह बीज आसानी से बैठता हैं यह फसल कम दिनों में, कम पानी में तथा कम लागत में तैयार होता है इसे सभी प्रकार की मिट्टीयो पर लगाया जा सकता है किसान चाहे तो इसकी खेती कर जायदा से ज्यादा आमदनी कर सकते हैं । इस प्रशिक्षण में कुल 30 प्रशिक्षु एवं नन्दन कुमार (एस आर एफ, सी•आर•ए•) मौजूद रहे I